
China behind India-nepal border dispute
नई दिल्ली। लद्दाख में भारत-चीन के बीच पैदा तनाव ( india-china border issue ) के बीच नेपाल सरकार देश के नए नक्शे को लेकर अपने रुख से पीछे हटने के मूड में दिखाई नहीं दे रही। नए सीमा विवाद ( India-nepal border dispute ) के मुद्दे पर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ( Nepal Prime Minister KP Sharma Oli ) के अप्रत्याशित रुख के पीछे चीन का हाथ ( China-Nepal relations ) है। इसमें काठमांडू स्थित चीनी दूतावास की भूमिका महत्वपूर्ण है। भारतीय खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक नेपाल के नक्शे को नए सिरे से बनाने के लिए चीनी राजदूत ( Chinese Ambassador ) ने प्रधानमंत्री ओली को प्रेरित करने का काम किया है।
दरअसल गलवान घाटी में हुए भारत-चीन के बीच संघर्ष का वक्त और नेपाल के प्रधानमंत्री ओली की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षा के सामने आने का एक ही वक्त महज कोई संयोग नहीं है। खुफिया सूत्रों की मानें तो नेपाल में युवा चीनी राजदूत होउ यानकी ने नेपाल की सीमा को फिर से परिभाषित किए जाने में पर्दे के पीछे अपना किरदार बखूबी निभाया। यानकी ने कॉमरेड ओली को यह फैसला लेने के लिए अच्छी तरह तैयार किया।
इसका सीधा सा मतलब है कि भारत के उत्तराखंड राज्य के हिस्सों को अपने नक्शे में दर्शा रहे नेपाल की इस चाल के पीछे चीनी राजदूत की कूटनीति और दिमाग लगा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक होउ यानकी पाकिस्तान में तीन साल तक काम ( China-Pakistan relationship ) कर चुकीं हैं। ओली के कार्यालय और आवास में अक्सर उनकी आवाजाही रहती है। जबकि नेपाल के राजनीतिक मानचित्र को बदलने के लिए द्वितीय संविधान संशोधन विधेयक का मसौदा तैयार करने में सहायक नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी का प्रतिनिधिमंडल भी चीनी राजदूत के संपर्क में था।
बीजिंग के विदेश नीति के रणनीतिकारों के इशारे पर काम करने वाली होउ यानकी को नेपाल में सबसे ताकतवर विदेशी राजनयिकों में से एक माना जाता है। एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक यानकी चीन के विदेश मंत्रालय में एशियाई मामलों के विभाग में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं।
इसके अलावा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल की युवा शाखा के कुछ शीर्ष नेताओं के साथ भी चीनी दूतावास का काफी संपर्क रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के पास भारत-नेपाल सीमा पर वामपंथी पार्टी के युवा नेताओं ने धरना दिया था। इसके बाद लोगों का व्यापक समर्थन पाने के लिए काठमांडू समेत अन्य शहरों में एक साथ विरोध प्रदर्शन हुए।
इस पर चीनी दूतावास की ओर से की कई कोशिशों ने आखिरकार प्रधानमंत्री ओली को मानचित्र बदलने के लिए जल्द ही एक विधेयक लाने के लिए पूरी तरह तैयार कर दिया।
गौरतलब है कि भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने चीन का नाम लिए बिना पहले ही इसका संकेत दे दिया था।जानकारी सामने आई थी कि उत्तराखंड में लिपुलेख र्दे के लिए नई लिंक रोड के खिलाफ नेपाल के कड़े विरोध के पीछे बीजिंग का ही हाथ है।
Updated on:
18 Jun 2020 09:49 am
Published on:
18 Jun 2020 09:47 am
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