scriptसिचाचिन को बचाने वाले ‘हीरो’ कर्नल नरेंद्र कुमार का निधन, दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर फहराया था तिरंगा | Colonel Narendra Kumar Passes Away in the age of 87 who saved Siachen | Patrika News

सिचाचिन को बचाने वाले ‘हीरो’ कर्नल नरेंद्र कुमार का निधन, दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर फहराया था तिरंगा

locationनई दिल्लीPublished: Jan 01, 2021 08:48:56 am

कर्नल नरेंद्र कुमार ने 87 वर्ष में दिल्ली के अस्पताल में ली अंतिम सांस
कर्नल नरेंद्र की रिपोर्ट के बाद 1984 में चलाया गया था ‘ऑपरेशन मेघदूत’
‘ऑपरेशन मेघदूत’ के जरिए सियाचिन को पाकिस्तान के नापाक इरादों से बचाया गया

Colonel narendra

कर्नल नरेंद्र का 87 वर्ष की उम्र में निधन

नई दिल्ली। सियाचिन ( Siachen ) ग्लेशियर में पाकिस्तानी गतिविधियों का पता लगाकर उसको बचाने वाले रीयल हीरो और भारतीय सेना (Indian Army) के प्रसिद्ध पर्वतारोही रिटायर कर्नल नरेंद्र कुमार ( Colonel Narendra Kumar ) नहीं रहे। बुल कुमार के नाम से मशहूर नरेंद्र कुमार का दिल्ली के सैन्य अस्पताल में निधन हो गया।
नरेंद्र कुमार ने 87 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। कर्नल कुमार की गिनती देश के सर्वश्रेष्ठ पर्वताहोरियों में होती थी। उन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंग फहराने का गौरव भी हासिल किया था। पीएम मोदी ने नरेंद्र कुमार के निधन पर शोक जताया।
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पाकिस्तान को करारा जवाब
1933 में पाकिस्तान स्थित रावलपिंडी में जन्मे कर्नल नरेंद्र कुमार को कर्नल ‘बुल’ के तौर पर भी जाना जाता था। कर्नल बुल को 1953 में कुमाऊं रेजिमेंट में कमीशन मिला। उनके तीन और भाई सेना में थे। खास बात यह है कि कर्नल ‘बुल ने 1977 में सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा करने का पाकिस्तानी मंसूबा भांप लिया और करारा जवाब भी दिया।
कुमार की रिपोर्ट पर चला ‘ऑपरेशन मेघदूत’
कर्नल नरेंद्र कुमार की रिपोर्ट पर ही सेना ने 13 अप्रैल, 1984 को ‘ऑपरेशन मेघदूत’ चलाकर सियाचिन पर कब्जा बरकरार रखा था। यह दुनिया की सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र में पहली कार्रवाई थी। उनकी रिपोर्ट के बाद ही तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन मेघदूत चलाने की मंजूरी दी थी।
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दुनिया की ऊंची चोटी पर फहराया तिरंगा
कर्नल बुल ने दुनिया की तमाम ऊंची चोटियों पर तिरंगा फहराकर देश का मान बढ़ाया। नंदादेवी चोटी पर चढ़ने वाले पहले भारतीय थे।

चार अंगुलियां खोकर भी नहीं हारे
कर्नल बुल के हौसले का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपने शुरुआती अभियानों में ही वे अपनी चार अंगुलियां गंवा चुके थे। बावजूद जज्बा कम नहीं हुआ और उन्होंने माउंट एवरेस्ट, माउंट ब्लैंक और कंचनजंघा पर भी तिरंगा फहराया। वे 1965 में भारत की पहली एवरेस्ट विजेता टीम के उपप्रमुख थे।
ये मिले सम्मान
कर्नल बुल को कई सम्मानों से नवाजा गया। इनमें परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और कीर्ति चक्र जैसे सैन्य सम्मान के साथ-साथ पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार प्रमुख रूप से शामिल हैं।
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पीएम ने जताया शोक
कर्नल नरेंद्र कुमार के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा- एक अपूरणीय क्षति! कर्नल नरेंद्र ‘बुल’ कुमार (सेवानिवृत्त) ने असाधारण साहस और परिश्रम के साथ राष्ट्र की सेवा की। पहाड़ों के साथ उनका विशेष बंधन याद किया जाएगा। उनके परिवार और शुभचिंतकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।’
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