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वैक्सीन के जरिए 4165 अरब रुपए सालाना के बाजार पर कब्जे की होड़

Highlights. - सीरम की कोविशील्ड को भारत समेत चार देशों में मिल चुकी है मंजूरी- कोवैक्सीन को सिर्फ भारत में अनुमति, गरीब देशों में सबसे ज्यादा मांग - दुनिया के बाजार को हथियाने की लड़ाई में सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक  

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Ashutosh Pathak

Jan 07, 2021

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नई दिल्ली.

कोविड वैक्सीन को लेकर कंपनियां में होड़ है। हर कोई बड़े बाजार पर कब्जा करना चाहती हैं, यही वजह है कि एक—दूसरे को कमतर बताने का दौर शुरू हो गया है। देश में सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की को वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है। दोनों के बीच भी जुबानी जंग शुरू हो चुकी है।

हालांकि, दोनों कंपनियों ने 'सरकारी दबाव' में आकर संयुक्त बयान जारी कर विवाद को थामने की कोशिश की है। विवाद की असली जड़ को करीब से समझाती रिपोर्ट...

80 से ज्यादा देशों में बाजार कब्जाने का खेल
दरअसल, कोविड का बाजार 2704 अरब रुपए सालाना से बढ़कर 2025 तक 4165 अरब रुपए हो जाएगा। दोनों कंपनियों की नजर इसी वैश्विक बाजार पर है। भारत बायोटेक की स्वदेशी कोवैक्सीन अब तक की विकसित हो चुकी वैक्सीन में सबसे सस्ती है। ऐसे में उसकी नजर गरीब व मध्यम आय वाले 80 से अधिक देशों पर है, जिनमें उसकी दूसरी वैक्सीन की सप्लाई पहले से है। जबकि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन बना रही सीरम इंस्टीट्यूट भी उन्हीं देशों में अपना बाजार तलाश रही है। इसके साथ ही वह सरकारी खरीद से बाहर निकलकर खुले बाजार में भी अपना कब्जा करना चाह रही है। कोविशील्ड अब तक पांच करोड़ खुराक का उत्पादन कर चुकी है। अप्रेल तक 20 करोड़ खुराक का उत्पादन कर लेगी। जबकि देश में जुलाई तक 30 करोड़ खुराक की जरूरत होगी।

दोनों वैक्सीन में क्या अंतर
वैक्सीन कोविशील्ड कोवैक्सीन
कीमत 219-292 रुपए 150-200
परीक्षण 23745 24800
प्रभावी 70.42 फीसदी अभी डाटा नहीं
स्टोरेज 2-8 डिग्री 2-8 डिग्री

'नोट : कोवैक्सीन के तीसरे चरण का परीक्षण चल रहा है। इसलिए अभी डाटा जारी नहीं हुआ है। कोविशील्ड ने 90 फीसदी प्रभावी का दावा किया था लेकिन डीजीसीआइ ने 70.42 फीसदी ही प्रभावी पाया।'

जुबानी जंग क्यों-
सीरम इंस्टीट्यूट ने अब तक क्या कहा-
- भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी दिए जाने पर आपत्ति
- फाइजर, मॉडर्ना व ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका ही सबसे प्रभावी हैं
- दुनिया की अन्य सभी वैक्सीन सिर्फ पानी की तरह हैं सुरक्षित हैं

बायोटेक के फाउंडर का पलटवार
- कंपनियों ने वॉलंटियर को डोज देने से पहले पैरासिटामॉल दवा दी थी
- हम 200 फीसदी ईमानदार। वैज्ञानिक हैं। पूरी ईमानदारी से क्लिनिकल ट्रायल करते हैं।
- कुछ कंपनियां हमारी वैक्सीन को पानी की तरह बता रही, मैं इनकार करता हूं।

आरोप-प्रत्यारोप की प्रमुख वजह यह
कांगो, हैती, पेरू, ब्राजील, मोरक्को, नाइजीरिया, यूक्रेन, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश समेत करीब 80 देशों में भारत बायोटेक की वैक्सीन का बाजार है। यही वजह है कि सीरम इन देशों में खुद को मजबूत करने की होड़ में है। दरअसल, इन बाजारों में सस्ती वैक्सीन की मांग है और बाजार में अभी सिर्फ कोविशील्ड और कोवैक्सीन ही सबसे सस्ती और बड़े स्तर पर उत्पादन करने वाली कंपनियां मौजूद हैं।

कोविशील्ड को 4 देशों मिल चुकी मूंजूरी
कोविशील्ड बना रही सीरम इंस्टीट्यूट को भारत के अलावा ब्रिटेन, अर्जेंटीना, अल सल्वाडोर आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है। इसकी एक खुराक की कीमत अन्य देशों व खुले बाजार में 1000 रुपये होगी। कंपनी हर माह माह 5-6 करोड़ खुराक का उत्पादन कर रही है।

कोवैक्सीन की ब्राजील ने की मांग
दूसरी ओर कोवैक्सीन को लेकर ब्राजील ने क्लिीनिकल ट्रायल पूरा होने के बाद खरीदने की इच्छा जाहिर की है। भारत की मंजूरी के आधार पर कोवैक्शीन को दुनिया के दूसरे देशों में प्रवेश करने का मौका मिल गया है। यही वजह है कि दूसरी कंपनियां उसकी मंजूरी और क्षमता पर सवाल खड़े कर रही हैं। सरकार भी 170 देशों को कोविड वैक्सीन उपलब्ध कराने की बात कह चुकी है।

सीरम की देश में भी खुले बाजार की चाहत
कोविशील्ड और कोवैक्सीन के साथ वैक्सीन खरीदी के लिए ड्राफ्ट अभी फाइनल नहीं हुआ है। दरअसल, सीरम इंस्टीट्यूट चाहता है कि सरकार उसे दो से तीन महीने बाद खुले बाजार की छूट दे, जबकि सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए है। ऐसे में वह भारत बायोटेक की उत्पादन क्षमता पर भी नजर बनाए हुए है।