नई दिल्लीPublished: Mar 22, 2021 10:25:55 am
विकास गुप्ता
कोविड-19 ने जिंदगी में रिश्तों और कम संसाधनों में जीने और बचत के महत्त्व को बताया, जब सबकुछ थम सा गया तो डिजिटल प्लेटफार्म ने आगे बढऩा सिखाया । मुश्किलों से सीखने का एक साल। यह कहें कि कोरोना ने हमें एक कदम पीछे हटकर दो कदम आगे बढऩा सिखाया है तो गलत नहीं होगा।
22 मार्च 2020 को देश में जनता कफ्र्यू लगाया गया। सुबह से देर रात तक का सन्नाटा और साथ ही लॉकडाउन की शुरुआत हो गई। ऐसा लॉकडाउन, जिसने निराशा, भय, अनिश्चित्ता की ओर धकेल दिया। गाडिय़ों के पहिए थम गए, रेल की पटरी पर खामोशी छा गई... कारोबार से रोजगार तक सब कुछ नेपथ्य में चले गए। कुछ शेष रहा तो जीवन प्रत्याशा...जिंदा रहने की एक उम्मीद। नहीं मालूम था कि लॉकडाउन के बाद की दुनिया कैसी होगी? क्या वैसी होगी जैसी आज है? तमाम सवाल जेहन में थे। बावजूद इसके इस मुश्किल वक्त से हम बहुत कुछ सीखकर निकले हैं। सीखा है...मुश्किल व अनिश्चित वक्त में कैसे मजबूती के साथ खड़ा रहा जाए...कैसे उसे साथ लेकर आगे बढ़ा जाए। यह कहें कि कोरोना ने हमें एक कदम पीछे हटकर दो कदम आगे बढऩा सिखाया है तो गलत नहीं होगा।