शहरों की अपेक्षा गांवों व कस्बों तक वैक्सीन पहुंचाने में निर्धारित तापमान बना पाना मुश्किल होगा। यही नहीं, टीका दो चरणों में लगाया जाएगा। लिहाजा, कम से कम 260 करोड़ इंजेक्शन, सीरिंज व शीशियों का इंतजाम भी निर्धारित तापमान में करना होगा। अनुमान है कि केंद्र और राज्य सरकारों को वैक्सीन की कीमत का 3 से 5 गुना रख रखाव पर खर्च करना पड़ेगा। अगर किसी विदेशी कंपनी से टीका खरीदा जाता है तो देश में लाने के लिए लॉजिस्टिक्स कंपनियों पर काफी रुपए खर्च करने होंगे।
मुश्किलें कम नहीं रूस के गैमेलिया इंस्टीट्यूट की बनाई स्पूतनिक-5 वैक्सीन पिछले हफ्ते भारत लाई गई। वै सीन को सुरक्षित रखने के लिए एक निश्चित तापमान पर रूस से इसे लाना मुश्किल काम था।
टास्क फोर्स बनाएं महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने वैक्सीन के वितरण के लिए टास्क फोर्स गठित करने का सुझाव पीएम नरेंद्र मोदी को दिया है। टीकाकरण मुहिम के संचालन का जिम्मा भी टास्क फोर्स को दे सकते हैं।
28 को पीएम कर सकते हैं घोषणा पीएम नरेंद्र मोदी 28 नवंबर को सीरम इंस्टीट्यूट का दौरा कर सकते हैं। इस दौरान सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला सहित वैक्सीन विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श के बाद अहम घोषणा कर सकते हैं। उम्मीद है कि इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए जनवरी में केंद्र को कोविशील्ड और कोवैक्सीन मिल सकती है।
माइनस 70 डिग्री तापमान, भारत में संभव नही फाइजर की वैक्सीन को -70 डिग्री तापमान पर रखना होगा। एम्स निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया के अनुसार भारत में यह संभव नहीं है। मॉडर्ना के टीके के लिए -20 डिग्री तापमान चाहिए। कोविशील्ड, कोवैक्सीन, स्पूतनिक-5 टीके -2 से -8 डिग्री के बीच सुरक्षित रखे जा सकते हैं।