
नई दिल्ली। कोरोना वायरस से लड़ने के लिए केंद्र सरकार द्वारा पीएम केयर्स कोष बनाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से पीएम केयर्स कोष को भंग करने की मांग की है।
इसमें अब तक जमा राशि को संचित निधि में स्थानांतरित करने की मांग की गई है। इतना ही नहीं, इस मामले की एसआईटी से जांच कराने का अनुरोध शीर्ष अदालत से किया गया है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए याचिका पर सुनवाई करेगी।
याची ने बताया है कि जनहित याचिका में पीएम केयर्स फंड की स्थापना के बारे में जानकारी दी गई है। साथ ही भारत के प्रधानमंत्री की ओर से कोविड-19 से लड़ने के लिए दान करने की अपील का भी जिक्र है। याची ने बताया कि इस संबंध में कोई भी अध्यादेश या भारत सरकार द्वारा राजपत्र अधिसूचना जारी नहीं की गई।
याचिका में कहा गया है कि ट्रस्ट को संविधान के अनुच्छेद 267 और 266 (2) के अनुसार बनाया जाना चाहिए, जो कि भारत के फुटकर खर्च और समेकित निधि से संबंधित है।
दरअसल, बात यह है कि केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी की भयावहता को देखते हुए किसी भी आपात स्थिति से निपटने के उद्देश्य से 28 मार्च को इस कोष की स्थापना की थी। इस कोष में लोग दान करते हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ हैं। प्रधानमंत्री ही इस कोष के पदेन अध्यक्ष हैं, जबकि रक्षामंत्री, गृहमंत्री और वित्तमंत्री इसके ट्रस्टी हैं। इस कोष के गठन का मकसद कोरोना वायरस के प्रकोप से निपटना और प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करना है।
बता दें ते देश में कोरोना वायरस की वजह से संक्रमित मरीजों की संख्या 7404 हो गई है। 764 लोग उपचार के बाद स्वस्थ होकर घर वापस लौट चुके हैं। इस वायरस की वजह से 273 लोगों की अभी तक मौत हुई है।
Updated on:
13 Apr 2020 09:00 am
Published on:
13 Apr 2020 07:54 am
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