
कोरोना वायरस से जंग के बीच एक अच्छी खबर यह है कि अब हर्ड इम्यूनिटी बढ़ रही है। परन्तु एक आम आदमी जो "हर्ड इम्यूनिटी" का मतलब नहीं जानता, उसके लिए इस बारे में विस्तार से जानना जरूरी है।
अगर बात दिल्ली के सन्दर्भ में करें तो कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर हाल ही एक सर्वे (Sero Survey) हुआ था। सर्वे में 28,000 सैम्पल्स की जांच की गई और उसके आधार पर पाया गया कि दिल्ली हर्ड इम्यूनिटी की ओर बढ़ रही है। इसी सर्वे को आधार बनाते हुए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने भी प्रेस क्रॉंफ्रेंस कर यह बताया कि दिल्ली में प्रत्येक 100 में से 56 व्यक्तियों में कोरोना वायरस (Covid-19) की प्रतिरोधक क्षमता यानी हर्ड इम्यूनिटी पैदा हो चुकी है। कमोबेश दुनिया भर के कई शहरों से इसी तरह की रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं।
आइए जानते हैं हर्ड इम्यूनिटी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में...
सबसे पहले, Herd Immunity क्या होती है?
सरल शब्दों में हर्ड इम्यूनिटी का अर्थ है कि किसी भी समुदाय या स्थान विशेष के अधिकतम लोगों में किसी वायरस के विरुद्ध प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता का विकसित होना। अर्थात उस समुदाय के अधिकतर लोग अब उस वायरस से सुरक्षित हो चुके हैं और उन पर न तो उस वायरस का कोई असर होगा और न ही उनके जरिए वायरस फैल सकेगा। उदाहरण के लिए यदि दिल्ली हर्ड इम्यूनिटी की ओर बढ़ रही है तो अब दिल्ली के लोगों पर कोरोना वायरस का असर या तो नहीं होगा या फिर न्यूनतम होगा। साथ ही वहां के लोगों के जरिए यह वायरस दूसरे लोगों में फैल भी नहीं सकेगा।
हर्ड इम्यूनिटी की गणना कैसे की जाती है?
इसके लिए केल्कुलेशन कर यह पता लगाया जाता है कि कोई वायरस कितना संक्रामक है और उसका कितना व्यापक असर हो सकता है। इसके बाद यह देखा जाता है कि किसी समुदाय या स्थान विशेष के कितने लोग उस वायरस का किस हद तक संक्रमण फैला सकते हैं। इन दोनों के बैलेंस के आधार पर ही कहा जाता है कि उस स्थान के लोगों में हर्ड इम्यूनिटी स्टार्ट हो चुकी है और किस स्टेज में चल रही है।
हम कैसे जानें कि हमने हर्ड इम्यूनिटी का टारगेट अचीव कर लिया है?
सबसे पहला पैमाना तो यही है कि यदि लोग संक्रमण फैलने से रोकने के लिए बताए गए सुझावों का पालन नहीं कर रहे हैं और फिर भी संक्रमित नहीं हो रहे हैं तो उन लोगों में हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो चुकी है। हालांकि भीड़भाड़ वाली जगहों पर ऐसा करना खतरनाक हो सकता है और हमें यथासंभव सरकार द्वारा सुझाए गए नियमों का पालन करना चाहिए।
क्या पूरी दुनिया का हर्ड इम्यून होना संभव है?
देखा जाए तो यह सबसे सुरक्षित स्थिति है जहां विश्व के किसी भी आदमी को वायरस संक्रमित नहीं कर सकता परन्तु ऐसा होना लगभग असंभव ही है। हालांकि छोटे देश या कुछ स्थानों पर ऐसी स्थिति आ सकती है। एक अन्य तरीका जो संभव है कि अधिकाधिक लोगों को वैक्सीन दी जाए। उस वैक्सीन के प्रभाव से भी लोग वायरस से सुरक्षित रहेंगे लेकिन बड़ी आबादी वाले तथा कमजोर अर्थव्यवस्था वाले देशों में ऐसा करना आर्थिक रूप से बहुत खर्चीला बैठ सकता है।
हर्ड इम्यूनिटी का असर कितने समय तक रह सकता है?
वैज्ञानिकों के अनुसार हर्ड इम्यूनिटी का असर कुछ महीनों से लेकर कुछ वर्षों अथवा लंबे समय तक रह सकता है। बूस्टर डोज लेकर इस समयांतराल को बढ़ाया भी जा सकता है।
क्या होगा यदि वायरस पर वैक्सीन निष्प्रभावी हो जाए?
आम तौर पर वायरस अपनी आंतरिक संरचना बदलते रहते हैं ताकि खुद को जिंदा रख सकें। ऐसे में उनके नए-नए स्ट्रेन्स या वैरिएंट्स (जातियां) आती रहती हैं और उनमें से कुछ पर वैक्सीन का असर नहीं होता है। उस स्थिति में हमें नई वैक्सीन या दवा की खोज करनी होती है और वैक्सीन मिलने तक सुरक्षा नियमों का पालन करना होता है।
Updated on:
19 Feb 2021 11:16 am
Published on:
19 Feb 2021 09:46 am
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