
अदालत में केस डायरियां लेकर आता रहा कोरोना पॉजिटिव पुलिस मुंशी, अब सबकी उड़ी नींद
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के खतरे और इसकी भयावहता देखने के बाद अच्छे-अच्छों का हालत खराब है। आलम यह है कि अब भारत के नागरिकों की सोच भी बदलने लगी है और आज का यंग इंडिया आने वाले वक्त की तैयारी एडवांस में कर रहा है। और तो और एक वक्त बुजुर्ग जिसे अगली पीढ़ी के लिए अंतिम वक्त में लिखकर जाते थे, युवा अब अपनी वसीयत लिखवा रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक 29 वर्षीय इंटीरियर डिजाइनर, एक 32 वर्षीय कॉर्पोरेट एग्जीक्यूटिव और 40 के शुरुआती दशक में रेस्तरां मालिक कुछ ऐसे युवा लोगों में से हैं, जो अपनी वसीयत तैयार करने के लिए वकीलों के पास दौड़ रहे हैं। कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते मामलों, कोई उपचार ना होना और वैक्सीन के डेवलपमेंट को लेकर अनिश्चितता ने इनकी चिंताओं को काफी बढ़ा दिया है।
वकीलों के पास बढ़ी भीड़
वकीलों की मानें तो उनके पास अचानक ही वसीयत लिखवाने वालों की संख्या बढ़ गई है। युवा पेशेवर, उद्यमी और यहां तक कि पारिवारिक व्यवसाय वाले लोग भी कोरोना की अनिश्चितता देखते हुए अपने करीबियों के लिए भविष्य की कोई चिंता नहीं छोड़ना चाहते।
हैरान हैं वकील
अधिवक्ता नियोमा वासदेव का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी ने न केवल देश को आगे बढ़ने से रोक दिया है, बल्कि लोगों का विश्वास भी चकनाचूर कर दिया है। वह कहती हैं कि जब 30-45 आयु वर्ग के कई लोगों ने उनसे वसीयत लिखवाने के लिए संपर्क किया, तो वह हैरान रह गईं।
वह कहती हैं, "वसीयत तैयार करवाने वाले लोगों की भीड़ दिख रही है। यह लोगों में बढ़ती जागरूकता दिखाती है कि लॉकडाउन हो या ना हो, एक व्यक्ति को इस बीमारी के अनिश्चित खतरों के लिए तैयार रहना होगा। निस्संदेह, यह बहुत ही अस्वाभाविक है क्योंकि चिकित्सा क्षेत्र में भारी उन्नति के साथ 55 वर्ष से नीचे के लोग वसीयत लिखवाने आएंगे, किसी ने ऐसा अंदाजा नहीं लगाया था।"
अपनों की चिंता
पिछले एक दशक में पति-पत्नी दोनों के काम करने का चलन बढ़ा है, तो युवा पेशेवर भी 40 के दशक तक पहुंचने पर संपत्ति और शेयरों में काफी संपत्ति अर्जित कर लेते हैं। इन संपत्तियों को सुरक्षित करने की जरूरत लोगों को अपनी वसीयत लिखवाने के लिए प्रेरित करती है।
अनिश्चितता का माहौल
अधिवक्ता वीरेंद्र गोस्वामी कहते हैं, “हमें आमतौर पर संपत्ति प्रबंधन और वरिष्ठ लोगों से वसीयत तैयार करने की क्वेरी मिलती हैं। अकसर वे किसी बीमारी से पीड़ित होते हैं या किसी गंभीर चिकित्सा प्रक्रिया से गुजरना चाहते हैं। लेकिन मौजूदा लॉकडाउन के दौरान हमें स्वस्थ, युवा व्यक्तियों से भी इस तरह के अनुरोध मिले हैं जो शायद वर्तमान समय की अनिश्चितता बताने के लिए काफी हैं।
वसीयत की प्रक्रिया
अधिवक्ता गौरांग कंठ का कहना है कि इसकी वजह यह है कि वसीयत हासिल करना एक लंबा वक्त लेने वाली कानूनी प्रक्रिया नहीं है। वसीयत को पंजीकृत करना एक अच्छा विचार है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है कि यह कम जटिल अभ्यास हो। यह दस्तावेज़ उन दो गवाहों के साथ कोई भी बना सकता है, जो परिवार के सदस्य हो सकते हैं, लेकिन वसीयत के लाभार्थी नहीं। उन गवाहों को वसीयत बनवाने वाले के हस्ताक्षर करने के वक्त पर उपस्थित रहने की आवश्यकता होती है, हालांकि उन्हें इसके भीतर क्या लिखा है इसकी जानकारी नहीं होनी चाहिए।
Updated on:
24 May 2020 04:04 pm
Published on:
24 May 2020 03:56 pm
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