क्या है सोशल डिस्टेंसिंग ? ( What is Social Distancing )
जैसा कि कोरोना ( COVID-19 ) अभी लाइलाज बीमारी है, ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग रखना बेहद जरूरी हो जाता है। ताकि इसके संक्रमण को फैलने से रोका जा सकें। सोशल डिस्टेंसिंग का सीधा मतलब ये है कि बहुत सारे लोग किसी एक स्थान पर जमा ना हों। दो व्यक्तिों के बीच कुछ मीटर की दूरी रखना। सोशल डिस्टेंसिंग ही एकमात्र तरीका है, जो कोरोना वायरस को फैलने से रोक सकता है।
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क्या अगले 3-6 महीने तक रखना होगा सोशल डिस्टेंसिंग ?
विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO ) ने कहा है कि संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों को जल्दबाजी में हटाने के घातक परिणाम हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस गेब्रेयसस ने कहा कि कुछ देश प्रतिबंध में ढील देने की योजना बना रहे हैं। एक साथ पाबंदियां हटाने से महामारी दोबारा फैल सकती है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस ( Coronavirus in india ) का प्रभाव आने वाले वक्त तक रह सकता है। रिपोर्ट में कहा गया कि भले ही सरकार लॉकडाउन ( Lockdown ) को खत्म कर दे लेकिन, सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना बेहद जरूरी है। क्योंकि कोरोना वायरस को जड़ से खत्म नहीं करने पर इसके लौटने का खतरा बना रहता है।
रिपोर्ट में कहा गया, अगले 3-6 महीने तक मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग रखना आवश्यक है। वैक्सीन आने तक लॉकडाउन रहे चीन में हुए एक अध्ययन में कहा गया है कि वायरस की वैक्सीन मिलने तक लॉकडाउन लागू रहना चाहिए। इसके साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग रखना चाहिए। लापरवाही बरतनें पर कोरोना तूफान ला सकता है।