
कोरोना वैक्सीनेशन
नई दिल्ली। कोरोना वायरस ( coronavirus ) महामारी को मात देने के लिए भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण ( Corona Vaccination ) अभियान शुरू हो चुका है। कोरोना से जंग में फिलहाल भारत के पास दो वैक्सीनों के रूप में बड़े हथियार हैं। एक कोविशील्ड और दूसरा कोवैक्सीन। तीन दिन में लगातार वैक्सीनेशन के आंकड़ों में बदलाव देखने को मिला है।
पहले दिन जहां लोगों ने उत्साह दिखाया वहीं दूसरे दिन रफ्तार सुस्त पड़ गई। हालांकि तीसरे दिन यानी सोमवार को एक बार फिर बड़ी संख्या में लोगों ने वैक्सीन लगवाई।
आईए जानते हैं कि कोरोना को लेकर भारत में के दोनों टीकों को लगवाने में कितना समय लगता है और इन्हें लगवाने में किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
चार मिनट में लगती है कोविशील्ड
कोरोना से जंग के लिए पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से तैयार कोविशील्ड के टीके को लगाने में महज चार मिनट का समय ही लगता है। वहीं भारत बायोटेक के टीके कोवैक्सीन को देने में लगभग दोगुना यानी 8 मिनट तक का समय लग रहा है।
कोवैक्सीन के लिए भरना होगा ये फॉर्म
वैसे तो किसी भी वैक्सीन को लगवाने से पहले कई बातों का ध्यान रखना जरूरी है। लेकिन भारत बायोटेक के टीके कोवैक्सीन को लगवाने से पहले ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीआई) की मंजूरी के अनुसार एक सहमति फॉर्म (Consent Form) पर साइन करना आशव्यक है।
यही नहीं वैक्सीन लगवाने वाले का ब्लड प्रेशर, टेंपरेचर और ऑक्सीजन सेचुरेशन की रीडिंग लेनी होती है।
कोविशील्ड के लिए ये जरूरी
कोविशिल्ड वैक्सीन के लिए रोगी से किसी भी तरह का कोई सवाल नहीं किया जा रहा है। उसे केवल अपनी पहचान वेरिफाई करनी है।
जबकि कोवैक्सीन लगवाने वालों से कई सवाल पूछे जा रहे हैं। वैक्सीन लगवाने वाले को तीन पन्नों का एक डॉक्यूमेंट दिया जाता है, जिसमें उन्हें अगले सात दिनों में कोई भी लक्षण होने पर विकल्प का चयन करना होता है।
डॉक्टर के संपर्क में रहने की सलाह
कोरोना वैक्सीन लेने के बाद एलर्जी के रूप में बड़ा साइड इफेक्ट सामने आ रहा है। ऐसे में कई डॉक्टर, हालांकि, लोगों को किसी भी संभावित एलर्जी रिएक्शन के गहन मूल्यांकन के लिए अपने फैमिली डॉक्टर से कंसल्ट करने की सलाह दी जा रही है।
सभी वैक्सीन लगवाने वालों को आधे घंटे तक ऑब्जर्वेशन रूम में रहना है।
आपको बता दें कि कोवैक्सीन लगवाने से ना सिर्फ लोग बल्कि कुछ हेल्थ वर्कर और चिकित्सक भी कतरा रहे हैं। इसकी बड़ी वजह है कि इसका तीसरे फेज का ट्रायल जारी है।
आईसीएमआर की बेंलगूरू ब्रांच नेशनल सेंटर फॉर डिसीज इंफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च को कोवैक्सिन के तीसरे फेज के क्लीनिकल टेस्ट की निगरानी के लिए नोडल सेंटर बनाया गया है।
Published on:
19 Jan 2021 12:35 pm
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