नई तकनीक का इस्तेमाल –
गृह मंत्रालय के विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) वीएसके कौमुदी ने कहा, आतंक के प्रचार व कैडर की भर्ती के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया का दुरुपयोग हो रहा है। आतंक के वित्तपोषण के लिए नई भुगतान विधियों का उपयोग हो रहा है। ड्रोन तकनीक का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।
ड्रोन का जीपीएस हो सकेगा हैक, वापस की सुविधा भी –
जम्मू-कश्मीर में वायुसेना के एयरबेस कैंप पर ड्रोन हमले की घटना के बीच आइआइटी कानपुर ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसमें दुश्मन के मंसूबे विफल किए जा सकेंगे। इससे न केवल ड्रोन के हमले को रोका जा सकेगा, बल्कि ड्रोन से होने वाली जासूसी भी रोकी जा सकेगी। इस तकनीक के जरिए दुश्मन के ड्रोन के जीपीएस को हैक कर उसके सिग्नल को ब्लॉक किया जा सकता है। साथ ही ड्रोन पर जाल डालकर उसे रोका जा सकेगा। ड्रोन को रिटर्न टू ओरिजिन यानी जहां से आया है वहां भेजने की सुविधा भी यह तकनीक देगी।
बनाए हैं कई ड्रोन-
आइआइटी ने विभ्रम, सुदर्शन, कॉकरोच समेत कई ड्रोन विकसित किए हैं। इन्हें आपदा के समय सहायता के लिए प्रयोग किया जा चुका है। आइआइटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने बताया, अब अत्याधुनिक तकनीक डेवलप की जा रही है, ताकि ये दुश्मन के रडार पर न आ सकें।