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ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत ‘नरसंहार’ से कम नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

locationनई दिल्लीPublished: May 05, 2021 04:55:57 pm

Submitted by:

Anil Kumar

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा ‘ऑक्सीजन की कमी से किसी की भी मौत ‘नरसंहार’ से कम नहीं है।’

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Deaths due to lack of oxygen no less than a ‘genocide’, says Allahabad HC

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच देशभर के कई राज्यों के अस्पतालों में ऑक्सीजन और बेड्स की कमी से हाहाकार मचा है। अब तक देशभर में ऑक्सीजन की कमी से 100 से अधिक कोरोना मरीजों की मौत हो चुकी है। ऐसे में संक्रमण के बढ़ते मामलों ने चिंताएं बढ़ा दी है।

देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट से लेकर कई राज्यों के हाईकोर्ट की ओर से कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को लेकर केंद्र सरकार समेत राज्य सरकारों को कड़ी फटकार लगा चुकी है। अदालतों ने सरकारों से स्पष्ट कहा है कि पर्याप्त व्यवस्थाएं की जाएं, ताकि किसी की भी जान न जाए।

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अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर एक बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि ऑक्सीजन की कमी से किसी की भी मौत ‘नरसंहार’ से कम नहीं है। अदालत ने कहा कि अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ती में कमी की वजह से किसी कोरोना मरीज की मौत एक आपराधिक मामला है।

बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार उत्तर प्रदेश के दो जिलों में जिला प्रशासन से अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी की रिपोर्ट को सत्यापित करने के लिए कहा है। अदालत ने आगे कहा कि हम अपने लोगों को इस तरह से कैसे मरने दे सकते हैं, जब विज्ञान इतना उन्नत है कि हृदय प्रत्यारोपण और मस्तिष्क की सर्जरी भी इन दिनों हो रही है।

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मेरठ के ट्रामा सेंटर के ICU में पांच की मौत

सुनवाई के दौरान जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और अजीत कुमार की खंडपीठ ने पिछले रविवार को मेडिकल कॉलेज मेरठ के नए ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में पांच मरीजों की मौत पर ध्यान दिया। साथ ही मेरठ और लखनऊ में दो अस्पतालों की रिपोर्ट की।

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ऑक्सीजन, दवाओं की आपूर्ति के लिए पांच मंत्रियों को जिम्मेदारी

कोर्ट ने कहा कि सरकार ने मांग के बावजूद ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं की। हम इन समाचारों को सरकार द्वारा किए गए दावे के विपरीत तस्वीर देख रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति थी। अदालत ने मेरठ और लखनऊ के जिला मजिस्ट्रेटों को 48 घंटों के भीतर रिपोर्टों की जांच करने और अगले दिन 7 मई को अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।

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