बाबा रामदेव ने दूध दही बेचना तो शुरू कर दिया, लेकिन खरीदने से पहले जान लीजिए असली सच्चार्इ
अगस्त 2017 से किताब पर बैन लगा है
आपको बता दें कि मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस अनु मल्होत्रा ने अपने 211 पन्नों के आदेश में ये बातें रेखांकित करते हुए कहा कि लोकतंत्र में लिखने और बोलने की आजादी सबको है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि आप किसी के बारे में कुछ भी लिखें या बोलें। आपके बोलने या लिखने की आजादी का अधिकार आपको किसी योग गुरु के खिलाफ किसी तरह की अपमानजनक बातें लिखने की इजाजत नहीं देता। बता दें कि इससे पहले सुनवाई करते हुए ट्राइल कोर्ट ने 4 अगस्त 2017 से किताब ‘गॉडमैन टू टायकून’पर लगे प्रतिबंध को इसी वर्ष अप्रैल में हटा लिया था, जिसके खिलाफ बाबा रामदेव ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
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क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि प्रकाशकों का कहना है कि किताब में बाबा रामदेव के द्वारा चलाई जा रही कंपनी पतंजली के बारे में विस्तार से लिखा गया है। लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि बाबा रामदेव सम्मान के हकदार हैं। भले ही उनकी एक अलग पहचान है। इसके बावजूद वे एक सामान्य नागरिक हैं और उन्हें भी सामाजिक प्रतिष्ठा का अधिकार है। कोर्ट ने आगे कहा कि किताब के उन अंशों से रामदेव की छवि पर गहरा असर पड़ेगा। इसलिए जब तक किताब में लिखे गए अपमानजनक अंशों को नहीं हटाया जाता तब तक उसके प्रकाशन और बिक्री पर रोक लगी रहेगी। बता दें कि किताब में लिखा गया है कि स्वामी शंकर देव के लापता होने और योगानंद की हत्या के पीछे बाबा रामदेव के हाथ हैं। हालांकि यह बात सीधे तौर पर नहीं कही गई है। कोर्ट का कहना है कि लोगों के बीच इस किताब के माध्यम से यह संदेश जाएगा कि बाबा रामदेव भी एक अपराधी हैं, जबकि इस बारे में कानूनी रूप से अभी तक कई साक्ष्य सामने नहीं आए हैं।