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Durai Murugan बने DMK के महासचिव, तमिलनाडु की राजनीति में रहा है बड़ा प्रभाव

Published: Sep 04, 2020 09:57:01 am

Submitted by:

Kaushlendra Pathak

Durai Murugan को डीएमके का नया महासचिव बनाया गया
मुरुगन के खिलाफ किसी और उम्मीदवार ने नामांकन नहीं भरा
नौ सितंबर को पार्टी की बैठक में निर्विरोध जीत की घोषणा की जाएगी

Durai murugan set to be DMK general secretary

दुरुई मुरगन को डीएमके का महासचिव बनाया गयाय़

नई दिल्ली। एक तरफ देश कोरोना वायरस संकट से जूझ रहा है। वहीं, दूसरी तरफ तमिलनाडु ( Tamil Nadu ) में सियासी सगर्मी तेज है। क्योंकि, द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK) पार्टी में बड़ा फेसबदल हुआ है। पार्टी के वरिष्ठ नेता एस दुरई मुरुगन ( Durai Murugan ) को DMK का महासचिव बनाया गया है। जबकि, डीएमके के संसदीय दल के नेता टी आर बालू को कोषाध्यक्ष बनाया गया है। दोनों के खिलाफ इन पदों के लिए किसी और उम्मीदवार ने नामांकन नहीं भरा।
दुरई मुरुगन बने DMK महासचिव

जानकारी के मुताबिक, गुरुवार शाम पांच बजे तक इन दो पदों के लिए नामांकन भरने का अंतिम समय था। लेकिन, दुरई मुरुगन और टी आर बालू के खिलाफ पार्टी के किसी और नेता ने नामांकन पर्चा दाखिल नहीं किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नौ सितंबर को होने वाली पार्टी की आम परिषद की बैठक में दोनों नेताओं को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया जाएगा। बताया जा रहा है कि पार्टी अध्यक्ष एम के स्टालिन खुद इसकी घोषणा करेंगे। गौरतलब है कि DMK ने गुरुवार को एक नए महासचिव और कोषाध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू की। पार्टी के वरिष्ठ नेता के अनबझगन का मार्च में निधन हो गया था, जिसके बाद से महासचिव का पद खाली था। गुरुवार को दुरई मुरुगन ने कोषाध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा सौंप दिया। बाद में उन्होंने महासचिव पद के लिए चुनाव के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। मुरुगन के इस्तीफे के बाद पार्टी ने एक नए कोषाध्यक्ष का चुनाव कराने के लिए प्रक्रिया शुरू की गई। कोषाध्यक्ष पद के लिए टी आर बालू ने नामांकन पर्चा दाखिल किया। नामांकन दाखिल करने की समय सीमा गुरुवार शाम 5 बजे थी। लेकिन, बालू के अलावा इस पद के लिए किसी और ने नामांकन दाखिल नहीं किया।
1971 में पहली बार चुनाव लड़े थे Durai Murugan

तमिलनाडु की राजनीति में दुरई मुरुगन का काफी दबदबा है। DMK का वह काफी पुराने नेताओं में से एक हैं। रिपोर्ट के अनुसार मुरुगन डीएमके के पूर्व अध्यक्ष और दिवंगत नेता एम करुणानिधि के बेहद करीब माने जाते थे। इतना ही नहीं करुणानिधि के बेटे और वर्तमान डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन के भी वह बेहद करीबी हैं। मुरुगन ने पेशे से एक वकील भी हैं। साल 1971 में उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव जीता था। उसके बाद से वह नौ बार विधायकी का चुनाव जीत चुके हैं। इसके अलावा 2006 में उन्हें मंत्री भी बनाया गया। रिपोर्ट के अनुसार दुरई मुरुगन पार्टी के कई अहम पदों पर अपनी सेवा दे चुके हैं। वहीं, अब महासचिव बनाया गया है। ऐसा माना जाता है कि स्थानीय राजनीति पर उनकी अच्छी पकड़ और उनके समर्थकों की संख्या भी काफी ज्यादा है।
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