आंकड़ों के अनुसार, आंध्र प्रदेश (83.6 फीसदी), गोवा (96.5 फीसदी), मिजोरम (83.8 फीसदी) और तेलंगाना (91.8 फीसदी) में घरों में स्वच्छ ईंधन का उपयोग करते हैं। एनएफएचएस की 2015-16 की रिपोर्ट की तुलना में सभी सर्वेक्षण किए गए 22 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में स्वच्छ ईंधन का उपयोग बढ़ा है। इसमें पाया गया कि 16 राज्यों में 70 प्रतिशत से अधिक आबादी ऐसे घरों में रह रही है जो बेहतर स्वच्छता सुविधा का उपयोग करते हैं।
आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में हालात बदतर हैं। यहां लोगों को स्वच्छ ईंधन की उपलब्धता बेहद कम है। गुजरात जैसे विकसित राज्य में भी मात्र 46.1 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ ईंधन उपलब्ध है। पश्चिम बंगाल में मात्र 20.5 और बिहार में 30.3 फीसदी ग्रामीण परिवार स्वच्छ ईंधन का उपयोग कर रहे हैं।
सर्वे में सामने आया कि 16 राज्यों की 70 फीसदी से ज्यादा जनसंख्या ऐसे परिवारों में रहती है, जो बेहतर स्वच्छता सुविधाओं का उपयोग करते हैं। इनमें लक्षद्वीप (99.8 फीसदी) और केरल (98.7 फीसदी) में सबसे ज्यादा जनसंख्या इस श्रेणी में आती है, जबकि बिहार (49.4 फीसदी) और लद्दाख (42.3 फीसदी) का हाल सबसे ज्यादा खराब है।
एनएफएचएस-5 के पहले चरण में शामिल 17 राज्यों व 5 केंद्र शासित प्रदेशों में असम, बिहार, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, केरल, लक्षद्वीप, दादरा नागर हवेली और दमन व दीव शामिल हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, सर्वे का दूसरा चरण शेष बचे राज्यों में चलाया जाएगा, जिसका डाटा इस साल जारी किया जाएगा।
नगालैंड 43
असम 42.1
पश्चिम बंगाल 40.2
बिहार 37.8
मेघालय 33.7 राज्य प्रतिशत
गोवा 96.5
तेलंगाना 91.8
मिजोरम 83.8
आंध्र प्रदेश 83.6