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मिसाल: 6 हजार मरीजों का किया उपचार, घर से बाहर गुजारी कई रातें

Highlights. - वरिष्ठ न्यूरो सर्जन ने खुद की रेस्क्यू टीम बना संक्रमितों को दी राहत - आपात स्थिति में मरीजों को इंजेक्शन या जांच के लिए तो कह दिया, लेकिन लॉकडाउन में मरीज किससे इंजेक्शन लगवाएं, इसके लिए एक चिकित्सक, मेल नर्स व वार्ड बॉय की रेस्क्यू टीम बनाई गई - आपात स्थिति में घर पर पहुंचे मरीजों को भी निराश नहीं किया, इसके लिए घर के बाहर बिस्तर लगाकर कई रातें गुजारीं

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Ashutosh Pathak

Dec 04, 2020

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नई दिल्ली/जोधपुर।

कोरोना के कहर के बीच लगे लॉकडाउन में न केवल अपने हजारों मिर्गी रोगियों को दवाइयां उपलब्ध करवाई, बल्कि 6000 से अधिक मरीजों को टेलीफोनिक व वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए चिकित्सकीय परामर्श दिया। आपात स्थिति में घर पर पहुंचे मरीजों को भी निराश नहीं किया। इसके लिए घर के बाहर बिस्तर लगाकर कई रातें गुजारीं।

जोधपुर के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. नगेन्द्र शर्मा की ये सेवाएं जारी हैं। कोरोनाकाल में डॉ. शर्मा की सराहनीय सेवा उनकी ओर से गठित रेस्क्यू टीम है। इन्हें जिला प्रशासन ने टेलीमेडिसिन पैनल में भी शामिल किया। बकौल डॉ. शर्मा आपात स्थिति में मरीजों को इंजेक्शन या जांच के लिए तो कह दिया, लेकिन लॉकडाउन में मरीज किससे इंजेक्शन लगवाएं, इसके लिए एक चिकित्सक, मेल नर्स व वार्ड बॉय की रेस्क्यू टीम बनाई गई। उन्हें विशेष पास उपलब्ध करवाए गए।

यह टीम कोरोना से बचाव का इंतजाम कर संबंधित मरीज से संपर्क कर चिकित्सकीय सुविधाएं उपल ध करवाती रही। इस तरह करीब 2500 मरीजों को नि:शुल्क लाभान्वित किया गया।

परिजनों की सुरक्षा का भी रखा ध्यान

कोरोना संक्रमण से स्वयं के साथ ही परिजन व आमजन की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा। मरीज को दूर से ही देखते, परिजन स्वस्थ रहे, इसके लिए घर की गैलरी में ही सोते। अलसुबह स्नान कर अंदर जाते।

काउंसलिंग कर लोगों को डिप्रेशन से उबारा

डॉ. शर्मा के अनुसार कोरोना के संकट में कई लोग डिप्रेशन का शिकार हो गए हैं, जिन्हें लगता है कि उनकी जीवनलीला समाप्त हो जाएगी। इससे लोगों को निजात दिलाने के लिए टेलीफोनिक काउंसलिंग की।