तेजी से बढ़ी है सोशल मीडिया की भूमिका भारत में लोकसभा चुनाव 2019 के लिए तैयारियां जोरों पर है और 2014 में हुए आम चुनाव के समय से जिस तरह चुनावी परिदृश्य बदला है उसमें सोशल मीडिया की भूमिका बेहद तेजी से बदली है। इसके महत्व का अंदाजा इस बात से ही साफ है कि लगभग सभी अहम राजनीतिक दलों की अलग-अलग ‘सोशल मीडिया सेना’ तेजी से सक्रिय हुई है। इसके साथ ही इस माध्यम पर फर्जी खबरों का बोलबाला भी बढ़ा है। इसी को देखते हुए फेसबुक ने यह बड़ा ऐलान किया है। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी लहर को सोशल मीडिया के जरिये ही तैयार किया था।
…ये है फेसबुक का मकसद रिपोर्ट्स के मुताबिक फेसबुक की इस टीम में सुरक्षा और कंटेंट के विशेषज्ञ भी रहेंगे। टीम सोशल मीडिया पर चल रही फर्जी, एजेंडे वाली और अभद्र भाषा वाली खबरों पर खास नजर रखेगी। उल्लेखनीय है कि फर्जी खबरों के बढ़ने से समाज में हो रही मॉब लिंचिंग, सांप्रदायिक दंगे, उपद्रव आदि जैसी खबरों को लेकर सरकार ने भी सोशल मीडिया कंपनियों को नए कदम उठाने के लिए कहा था। इस मुहिम का मकसद दुनियाभर में होने वाले चुनावों में पारदर्शिता बढ़ाने में मदद करना है। इससे पहले मार्क जुकरबर्ग भी कह चुके हैं कि चुनावों के समय फेसबुक का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।
12 भारतीय भाषाओं के कंटेंट का होता है विश्लेषण गौरतलब है कि फेसबुक पर मौजूद कंटेंट का विश्लेषण करने के लिए कंपनी मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस समेत कई तरह की तकनीकों का उपयोग करती है। कम्युनिटी ऑपरेशन्स नाम की एक टीम कई तरह की रिपोर्ट्स का अध्ययन करती है। यह टीम दुनियाभर की 50 भाषाओं में कंटेंट का विश्लेषण करती है इनमें 12 भारतीय भाषाएं भी शामिल हैं।