एक किसान नेता कहना है,”संघर्ष हमेशा लोगों की अपनी क्षमताओं के आधार पर होता है। हम सहानुभूति रखने वालों से मदद लेते हैं, लेकिन सरकारों से नहीं। वे केवल वोट हासिल करने के लिए काम करते हैं।”
अब ये आंदोलन (Kisan Andolan) पंजाब से निकलकर धीरे-धीरे कई राज्यों में फैल गया है। पंजाब और हरियाणा सहित कई राज्यों के किसान पिछले कई दिनों से नए कृषि बिल के विरोध में खड़े हुए हैं।
गृह मंत्री अमित शाह और किसान नेताओं के बीच मंगलवार रात को हुई बैठक विफल होने के बाद सरकार और किसान यूनियनों के बीच आज होने जा रही बैठक अब नहीं होगी। बुधवार को सरकार ने किसानों को कृषि कानून में संशोधन का लिखित प्रस्ताव दिया है। इस पर किसान नेताओं ने सिंघु बॉर्डर पर बैठक की। किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को नहीं माना है। उन्होंने कृषि कानूनों की वापसी की मांग की है। किसान नेताओं ने प्रेस वार्ता कर कहा कि जब तक तीनों बिल वापस नहीं होते हैं, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।