कोविड-19 की वजह से पहले ही तिमाही में गर्भपात होने का ये मामला मुंबई से सामने आया है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च इन रिप्रोडक्टिव हेल्थ (NIRRH) द्वारा पिछले सप्ताह जारी किए गए एक शोध में पाया गया है कि यह भारत का पहला ऐसा केस है, जिसमें वायरस को गले से पहले हटा दिया गया था। इसके बावजूद वायरस के टिशू शरीर में दो सप्ताह के बाद भी जिंदा थे। इसने शरीर के अंदर और भी कोरोना वायरस की संख्या बढ़ा ली और बाद में उसने महिला के गर्भ को नुकसान पहुंचाया।
वैज्ञानिक शोध के मुताबिक जब महिला दो माह की गर्भवती थी तब उसने कोरोना टेस्ट कराया था। वह उसमें पॉजिटिव पाई गई थी। इसके बाद उसने पांच हफ्ते पहले दोबारा कोरोना टेस्ट कराया। इस दौरान वह पूरी तरह से स्वस्थ पाई गई। 13 सप्ताह के बाद उसने अल्ट्रासाउंट कराया तो उसमें भ्रूण मृत पाया गया। ये देख डॉक्टरों के होश उड़ गए। महिला ESIS अस्पताल में भर्ती थी। चिकित्सकों को कोरोना संबंधित मामले का शक होने पर उन्होंने NIRRH से संपर्क किया। महिला के नाक के स्वैब का लेकर परीक्षण किया गया, लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आई। इसके बाद महिला के प्लेसेंटा, एमनियोटिक फ्लूइड और भ्रूण झिल्ली का परीक्षण किया। जिसमें वायरस प्लेसेंटा में अपनी संख्या बढ़ाता नजर आया। ये काफी चौंकाने वाला था। ऐसे में डॉक्टरों का मानना है कि कोविड—19 के चलते गर्भपात का खतरा बढ़ गया है। गर्भवती महिलाओं को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है।