अमरीका में उपभोक्ता सुरक्षा नियामक (एफटीसी) ने भी फेसबुक और गूगल पर पिछले दिनों लैंडमार्क एंटीट्रस्ट कानून के तहत केस दर्ज किया है। फेसबुक और गूगल पर बाजार की प्रतिस्पर्धा को खत्म करने के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप है।
यह प्रतिस्पर्धियों को खरीदकर सोशल मीडिया की दुनिया में अपना एकाधिकार जमाना चाहता है। साल 2012 में फोटो शेयरिंग ऐप इंस्टाग्राम की 5,362 करोड़ रुपए में खरीद और 2014 में 1.65 लाख करोड़ रुपए में वॉट्सऐप को खरीदना बताता है कि कंपनी वर्चस्व स्थापित करना चाहती है। ये सौदे बाजार की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लिए खतरा हैं। फेसबुक की मार्केट वैल्यू लगभग 800 बिलियन डॉलर की है।
गूगल इंटरनेट का प्रवेश द्वार है और खोज-विज्ञापन के बाजार में यह विशालकाय है। गूगल ने विशेष व्यवहार के जरिए अपनी एकाधिकारवादी शक्तियों को बनाए रखा है, जो प्रतिस्पर्धा के लिए हानिकारक है। कंपनी मुनाफा बढ़ाने के लिए ऑनलाइन सर्च कारोबार में अपने प्रभुत्व दुरुपयोग कर रही है। गूगल की मूल कंपनी एल्फाबेट इंक है और इसका बाजार मूल्य 1,000 अरब डॉलर से अधिक है।
पिछले दिनों फ्रांस ने गूगल पर 890 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। गूगल पर यह अब तक का सबसे बड़ा जुर्माना है। जुर्माना फ्रांस के ऑनलाइन एडवरटाइजिंग ट्रैकर्स (कुकीज) के नियमों के उल्लंघन के मामले में लगाया गया है। ई-कॉमर्स दिग्गज अमेजन पर भी 311 करोड़ रुपए का जुर्माना लगा है।
एफटीसी चाहता है कि फेसबुक कारोबार को दो हिस्सों में बांट दे। यदि ऐसा हुआ तो फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग द्वारा खड़े किए गए सोशल मीडिया के साम्राज्य के अस्तित्व के लिए खतरा उत्पन्न हो जाएगा। इसकी वजह यह है कि कंपनी की आमदनी इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप से बढ़ रही है। इनके दम पर फेसबुक डिजिटल कॉमर्स में उतर रही है। यदि ये दो मुनाफे वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हाथ से निकलते हैं तो फेसबुक की लॉन्गटर्म वैल्यू खत्म हो जाएगी।
— देश में फेसबुक पर हेट स्पीच को समर्थन करने का आरोप लगा है।
— एकाधिकार के चलते सोशल मीडिया पर कंटेंट को दिखाने और रोकने का आरोप
— फेसबुक ई—कॉमर्स में आएगी तो नुकसान छोटे कारोबारियों को होगा।
— एप्पल, अमेजॉन, फेसबुक और गूगल जैसी अमरीकी कंपनियां आज विश्व के कई देशों की इकोनॉमी से बड़ी हो गई हैं।
— कंपनियों के बिजनेस मॉडल में वर्चस्ववादी व्यवहार का खुलासा
— अमरीकी जांच में आरोप, अपना कारोबार बढ़ाने के लिए छोटे कारोबार और कारोबारियों को नुकसान पहुंचाया।
— निजी डेटा का अनैतिक उपयोग कर प्रतिस्पर्धा को ही खत्म कर दिया।
डिस्काउंट और बहुत कुछ फ्री मिल रहा है तो फिर आम नागरिकों को चिंता क्यों करनी चाहिए? इसको समझने के लिए जरूरी है कि 2016 में भारत में रिलायंस जियो ने 4जी सेवा शुरू की जिसमें उपभोक्ताओं को करीब 1 वर्ष तक इंटरनेट और कॉलिंग की मुफ्त सेवाएं दी गई। परिणाम यह हुआ कि एक समय 15 से ज्यादा टेलीकॉम कंपनियां भारत में सेवाएं दे रही थी, अब महज 3 बची हैं। अब तीनों कंपनियां अपनी दरें बढ़ा रही हैं। बाजार से प्रतिस्पर्धा काफी हद तक खत्म हो गई है।
ओएस हिस्सा (प्रतिशत में)
एन्ड्रॉयड 63.43
विंडोज 20.51
आइओएस 2.38
मैक ओएस एक्स 1.13
लीनिक्स 0.82
अन्य 11.1 भारत में सोशल मीडिया का मार्केट नवम्बर—2020 साइट हिस्सा (प्रतिशत में)
फेसबुक 74.18
यूट्यब 10.41
पिंटरेस्ट 6.18
इंस्टाग्राम 4.3
ट्विटर 3.45
लिंक्डइन 0.33
अन्य 0.35