
हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए सरकार ने भेजे 69 नाम, सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम करेगा फैसला
नई दिल्ली। विधि मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों के हाई कोर्ट में न्यायाधीशों के तौर पर नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम को 69 उम्मीदवारों के नाम भेजे हैं। हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति प्रक्रिया के अनुसार सबसे पहले हाई कोर्ट के कोलेजियम चुने गए उम्मीदवारों के नाम केंद्रीय विधि मंत्रालय को भेजते हैं। विधि मंत्रालय इन नामों को सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम को भेजने से पहले आईबी के पास भेजता है। वहां से क्लीन चिट मिलने के बाद विधि मंत्रालय अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को भेजता है।
क्या है कॉलेजियम की प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम के पास सरकार की अनुशंसा पहुंचने के बाद जजों की नियुक्ति पर अंतिम फैसला होता है। हालाँकि यह जरूरी नहीं है कि हाईकोर्ट जितने नामों की अनुशंसा करे, वो सब जज बना दिए जाएं। ज्यादातर मामलों में अनुंशसा किये गए आधे नामों को सुप्रीम कोर्ट खारिज कर देता है। अब तक इस सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2016 में 126 जजों की नियुक्ति की गई थी, जिसे केंद्र सरकार ने स्वतंत्रता के बाद एक साल के दौरान की गई सबसे बड़ी नियुक्ति बताया था। बता दें कि भारत के कुल 23 उच्च न्यायलयों में हर साल 86 नए जजों की नियुक्ति होती है।
क्या है कोलेजियम व्यवस्था ?
कोलेजियम सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों का समूह है। इन पांच लोगों में भारत के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जज शामिल होते है। हालांकि जजों की नियुक्ति के लिए कोलेजियम का प्रावधान संविधान में कहीं नहीं है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठतम जजों का कोलेजियम ही नियुक्ति व तबादले का फैसला करती है। कोलेजियम की सिफारिश मानना सरकार के लिए जरूरी होता है। जजों के नियुक्ति और तबादले की यह व्यवस्था 1993 से लागू है।
कैसे बना कोलेजियम
कोलेजियम प्रणाली जजों की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट और सरकार की खींचतान नतीजा है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति के लिए संविधान में वर्णित व्यवस्थाओं को बदला और कोलेजियम का प्रावधान किया।
Published on:
13 Jul 2018 08:50 am
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