script‘अगर अदालत ने की होती सुनवाई, टाली जा सकती थी दिल्ली हिंसा’ | IF court heard PIL on Shaheen Bagh Protest, Delhi Violence could have been avoided | Patrika News

‘अगर अदालत ने की होती सुनवाई, टाली जा सकती थी दिल्ली हिंसा’

locationनई दिल्लीPublished: Feb 26, 2020 05:54:18 pm

भाजपा नेता नंद किशोर गर्ग ने इस माह दाखिल की थी याचिका।
सुप्रीम कोर्ट-हाई कोर्ट में की थी प्रदर्शन के लिए दिशा-निर्देश देने की अपील।
शाहीन बाग में जारी प्रदर्शन को हटाने को लेकर दाखिल की थी जनहित याचिका।

nand kishore garg

नंद किशोर गर्ग

नई दिल्ली। अगर दिल्ली हाईकोर्ट ने शाहीन बाग में जारी प्रदर्शन को हटाए जाने संबंधी जनहित याचिका पर उस वक्त सुनवाई कर ली होती, तो उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा को टाला जा सकता था। यह कहना है भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता नंद किशोर गर्ग का।
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मीडिया से बातचीत में गर्ग ने कहा, “अगर सुप्रीम कोर्ट या दिल्ली हाईकोर्ट ने मेरी याचिका पर वक्त रहते सुनवाई कर ली होती, तो उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा को टाला जा सकता था, जिसमें 17 से ज्यादा लोगों की जानें चली गईं।”
याचिकाकर्ता ने कहा कि हेड कॉन्स्टेबल की मौत और कई अन्य अधिकारियों के घायल होने से दिल्ली पुलिस हतोत्साहित हो गई है।

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दो दिनों से उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा सांप्रदायिक बन गई और इसमें कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई है, जबकि करीब 200 लोगों के घायल होने की खबर है।
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इस संबंध में गर्ग ने कहा, “हम देश भर में विरोध प्रदर्शनों के लिए व्यापक दिशा-निर्देश की मांग कर रहे हैं। इसके लिए एक सुस्पष्ट प्रणाली होनी चाहिए। विरोध केवल पूर्व-अनुमति के साथ और निर्धारित स्थान पर ही होना चाहिए”
उन्होंने आगे कहा, “देश भर में शाहीन बाग की तरह 100 से ज्यादा प्रदर्शन जारी हैं। यह प्रायोजित प्रदर्शन हैं। नागरिकता संशोधन कानून में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसके चलते इसके विरोध में प्रदर्शन की जरूरत है।”
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नंद किशोर गर्ग और अमित साहनी द्वारा उनके वकील शशांक देव सुधी के जरिये केंद्र और संबंधित अन्य से कालिंदी कुंज के नजदीक शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाए जाने के लिए उचित दिशा-निर्देश देने की मांग की गई थी।
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इस याचिका में भारत सरकार समेत प्रतिवादियों के लिए दिशा-निर्देश मांगे गए हैं, ताकि सार्वजनिक स्थानों पर व्यवधान या बाधा डालने वाले विरोध या आंदोलन आयोजित करने पर सीधे प्रतिबंध के लिए व्यापक, विस्तृत और संपूर्ण दिशा-निर्देश निर्धारित करें।
गौरतलब है कि बीते दिसंबर मध्य से नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और प्रस्तावित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) के विरोध में राजधानी के शाहीन बाग इलाके में सैकड़ों की तादाद में महिला-पुरुष प्रदर्शन पर बैठे हैं।

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