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सिन्दूर की खत्म होती परंपरा को बचायें, क्योंकि सिन्दूर के हैं यह अनगिनत महत्व

मांग में सिन्दूर लगाने के हिन्दू धर्म एवं वैज्ञानिकों ने कई अलग-अलग महत्व बताए गए हैं।

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Ravi Gupta

Nov 17, 2017

Sindoor

प्राचीनकाल से ही सुहागन स्त्रियों के लिए मांग में सिन्दूर भरने की परम्परा चली आ रही है। सिन्दूर को स्त्री के 16 श्रंगारों में से एक माना गया है। सुहाग के प्रतीक के तौर पर हर सुहागन महिला द्वारा इसे अपनी मांग में भरा जाता है। मांग में सिन्दूर लगाने के हिन्दू धर्म एवं वैज्ञानिकों ने कई अलग-अलग महत्व बताए गए हैं।

हिन्दू मान्यता अनुसार सिन्दूर लगाने के महत्व-

हिन्दू धर्म के अनुसार माना जाता है कि सिन्दूर देवी पार्वती का प्रतीक है। देवी पार्वती ने अपने पति के सम्मान के लिए अपना जीवन त्याग कर दिया था। इसीलिए जो भी महिला सिन्दूर लगाएगी, देवी पार्वती उसके पति की जीवन भर हर संकट से रक्षा करेंगी और यह भी माना जाता है उसे देवी पार्वती से अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान प्राप्त हो जाता है।

देवी लक्ष्मी को हिन्दू मान्यतानुसार सिर पर विराजमान बताया गया है। इसलिए विवाहित स्त्रियाँ सिर पर सिन्दूर लगाकर लक्ष्मी को सम्मान देती हैं। लक्ष्मी की कृपा से पति-पत्नी लम्बे समय तक साथ रहते हैं। उनके सम्बन्धों में मधुरता रहती है।

उत्तर भारत में विवाहित स्त्रियों के लिए सिन्दूर लगाना ज़रूरी मन जाता है। माना जाता है कि मेष राशि माथे पर स्थित होती है। मंगल, मेष राशि का स्वामी है, जो लाल रंग का है। अतः सिन्दूर स्त्री एवं उसके पति दोनों के लिए सौभाग्य का प्रतीक है।

हिन्दू पौराणिक कथाओं में सिन्दूर का अत्यधिक महत्व बताया गया है। एक विवाहित स्त्री यदि अपनी मांग में सिन्दूर लगाती है तो उसके पति की अकाल मृत्यु नहीं होती। यह पति के लिए लम्बी उम्र की कामना का प्रतीक माना गया है।

वैज्ञानिक मान्यता अनुसार सिन्दूर लगाने के महत्व-

महिलाओं द्वारा अपने मस्तिष्क के बीचों-बीच सिन्दूर लगाया जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस स्थान पर ब्रह्मरंध्र नामक ग्रंथि विध्यमान रहती है। यह मस्तिष्क के आगे भाग से बीच वाले भाग तक फैली होती है। यह भाग बहुत संवेदनशील होता है, जहाँ सिन्दूर लगाया जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार सिन्दूर में पाया जाने वाला मरकरी नामक धातु इस ग्रंथि के लिए अत्यधिक प्रभावशाली होता है। इससे महिलाओं में तनाव, अनिद्रा, सिर दर्द एवं अन्य मस्तिष्क सम्बन्धी समस्याएँ नहीं रहती।

शादी के बाद महिलाओं पर जिम्मेदारियाँ एवं तनाव बढ़ जाता है। सिन्दूर में उपस्थित मरकरी नामक पदार्थ तरल रूप में होता है, जो दिमाग को शीतलता प्रदान करता है। इससे विवाहित स्त्री शांतिपूर्ण अपना जीवन जीने में सक्षम होती है। इसके अलावा सिन्दूर शरीर एवं स्वास्थय दोनों के लिए लाभकारी होता है। इसके प्रयोग से रक्तचाप में संतुलन बना रहता है। इससे महिलाओं में पिट्युटरी ग्रंथि अपना काम ठीक तरीके से कर पति है।

प्राचीन समय के लोगों एवं वैज्ञानिक नज़रिए से सिन्दूर को एक विवाहित स्त्री के लिए बहुत शुभ माना गया है। यह उसके पति की लम्बी उम्र एवं अच्छे स्वास्थय का प्रतीक होता है।