
भारत-चीन के बीच लगातार विवाद बढ़ता जा रहा है।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस ( coronavirus ) संकट के बीच भारत-चीन ( India-China Tension ) के बीच विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है। इसी बीच खबर आ रही है कि चीन से बातचीत के साथ-साथ सैन्य कार्रवाई ( India-China Face Off ) के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, शीर्ष नीति निर्धारकों में इस बात को लेकर सहमति बनती हुई नजर आ रही है।
सैन्य कार्रवाई पर विचार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नीति निर्धारकों का कहना है कि सीमा विवाद ( India-China Border Issue ) को सुलझाने के लिए बातचीत तो चलती रहनी चाहिए। लेकिन, ड्रैगन ( Dragon ) को सीमा पर माकूल जवाब देने के लिए भी हमें पूरी तरह से तैयार रहना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि विचार विमर्श के दौरान नीति निर्धारकों के बीच 'टकराव और लड़ाई' शब्दों पर चर्चा की गई और इसका समर्थन भी किया गया। सूत्रों का कहना है कि चर्चा के दौरान ये भी कहा गया कि हम टकराव को नहीं बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन चीन ( China ) के सामने झुका भी नहीं जा सकता और समझौता नहीं किया जा सकता।
अप्रैल महीने से जारी है Tension
रिपोर्ट में ये भी कहा है कि शीर्ष नीति निर्धारकों ने कहा कि सीमा पर हम पीछे नहीं हटेंगे और चीनी का सामना करेंगे। वहीं, सरकार के अंदर खाने में यह चर्चा है कि अगर परिणामों पर विचार किया गया तो आगे नहीं बढ़ जा सकता है। 20 सैनिकों की शहादत के बात चीन ने अब तक यह भरोसा नहीं दिलाया है कि वह तनाव कम करने जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने चालबाजी करते हुए जब अप्रैल महीने में सैन्य जमावड़े को बढ़ाया था, उसी वक्त भारतीय सैनिकों ( India Army ) को निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए गए थे। एक अधिकारी के मुताबिक, 'इसके बावजूद चीन ने सीमा पर लगातार सैनिकों की संख्या में बढोतरी की। वहीं, भारत ने भी सीमा ( India Border ) पर सैनिकों की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया।' अधिकारी का कहना है कि 19 को सर्वदलीय बैठक ( All Party Meeting ) में इसकी जानकारी दी गई थी।
'China को मिलेगा करारा जवाब'
कुछ अन्य अधिकारियों का कहना है कि दोनों देशों के बीच संबंध ( India-China Relation ) खत्म करना इतना आसान नहीं है। भारत के पास फिलाहल, कूटनीतिक और सैन्य दबाव बढ़ाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। वहीं, युद्ध के मामले में कहा गया कि यह देश 1962 वाला नहीं है। बल्कि, 2020 का भारत है। अधिकारी का कहना था कि चीन भय का माहौल बनाना चाहता है और खुद को सुपर पावर के रूप में स्थापित करना चाहता है। लेकिन, अब उसे करारा जवाब मिलेगा। यहां आपको बता दें कि भारत लगातार चीनी कंपनियों को झटका दे रहा है और कई कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिए गए हैं। इसके बावजूद चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।
Updated on:
29 Jun 2020 10:26 pm
Published on:
29 Jun 2020 05:50 pm
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