scriptदुबई से काबुल तक कूटनीतिक चाल, बदल गया दिल्ली-इस्लामाबाद का हाल | India, Pakistan agree to follow all ceasefire pacts | Patrika News

दुबई से काबुल तक कूटनीतिक चाल, बदल गया दिल्ली-इस्लामाबाद का हाल

locationनई दिल्लीPublished: Feb 26, 2021 10:15:46 am

– सीजफायर समझौते का सख्ती से पालन करने पर भारत और पाक हुए सहमत

दुबई से काबुल तक कूटनीतिक चाल, बदल गया दिल्ली-इस्लामाबाद का हाल

दुबई से काबुल तक कूटनीतिक चाल, बदल गया दिल्ली-इस्लामाबाद का हाल

आनंद मणि त्रिपाठी

नई दिल्ली । भारत और पाकिस्तान के बीच एलओसी पर सीजफायर समझौता लागू होना महज इत्तेफाक नहीं है। इसके पीछे कई माह की कूटनीतिक मेहनत और अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक सोच है। पिछले चार महीनों से बैक चैनल में प्रयास किए जा रहे थे। दुबई व काबुल में सीमा पर शांति को लेकर विभिन्न स्तर पर कई बार वार्ता हुईं। तब जाकर 25 फरवरी को यह फलीभूत हुआ। इसका संकेत 2 फरवरी को पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के बयान से समझ सकते हैं। पाकिस्तानी वायुसेना प्रशिक्षण संस्थान में बाजवा ने कहा था कि हम भारत-पाकिस्तान के मुद्दों का सम्मानजनक समाधान व शांति चाहते हैं। वहीं भारत का भी रुख सकारात्मक रहा। भारतीय सैन्य प्रमुख जनरल मुकुंद नरवणे ने बुधवार को नई दिल्ली में कहा था कि पश्चिम के पड़ोसी ने पिछले नौ महीने में कोई ऐसी हरकत नहीं की, जिससे यह लगे कि वह चीन की सहायता कर रहा है।

यूं नहीं था मीडिया मैच-
भारत के मीडिया और पाकिस्तान उच्चायोग अधिकारियों के बीच पिछले सप्ताह हुआ क्रिकेट मैच यूं ही नहीं था। यह भी कूटनीति का तरीका है। निश्चित रूप से इस तरह का मैच बिना उच्च स्तर से मिली हरी झंडी के बिना नहीं हुआ होगा। इस मैच में पाकिस्तान उच्चायोग ने जीत दर्ज की।

इन पांच बातों से समझा पाकिस्तान –
भारतीय सेना में चुशुल बेस में कमांड कर चुके कर्नल (रि.) दानवीर सिंह कहते हैं कि चीन को भारत ने जवाब दिया और फिर चीन जिस तरीके से झुका। फिर चीन ने जिस तरीके से अपने सैनिकों की मौत की बात स्वीकार की। इससे पाकिस्तान को यह बात समझ में आ गई कि जब चीन चुनौती नहीं दे पाया तो हम कितने दिनों तक भारत से भिडऩे में सक्षम हैं। दूसरी बात एफएटीएफ का दबाव। तीसरी अंतरराष्ट्रीय दबाव। चौथी और सबसे महत्त्वपूर्ण आर्थिक दबाव। जिससे पाकिस्तान ने बखूबी समझा कि वह भारत के सामने बहुत समय तक अपना आर्थिक संसाधन व्यय नहीं कर सकता। जितनी फौज तैनात और गोला बारूद का उपयोग करेगा, उतना ही नुकसान होगा। पांचवीं बात बालाकोट और 5 अगस्त के बाद संघर्ष विराम उल्लंघन नई ऊंचाइयों तक चला गया था। 2019 में 3168 और 2020 में 4645 बार संघर्ष विराम उल्लंघन हुआ। इसका सबसे ज्यादा नुकसान पाकिस्तान को उठाना पड़ा था। तस्वीरें गवाह हैं। ऐसा कब तक चलेगा। पाकिस्तान समझ गया और फिर वह अब नई टेबल पर है।

कुछ बेहतर सूचनाएं मिलने की उम्मीद-
भारत-पाकिस्तान संबंधों के विशेषज्ञ आदित्य राज कौल कहते हैं कि दोनों तरफ से चीजें बैकएंड में चल रही हैं। अभी पाकिस्तान से कुछ बेहतर सूचनाएं मिलने की उम्मीद है। अमरीका निश्चित रूप से एक तत्व है एफएटीएफ का दबाव भी है।
फिर भी सावधानी जरूरी-
दूसरी तरफ खुफिया एजेंसियों ने जम्मू-कश्मीर को सतर्कता के मोड पर डाल दिया है। खबर है पाक गर्मी में कश्मीर में दंगे भड़काना, हिंसा करवाना और पत्थरबाजी का चलन तेज करने पर काम कर रहा है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो