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पत्रकारिता के लिए भारत ‘खराब’, विश्व प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2021 की रैंकिंग में 142वां स्थान मिला

2004 में यूपीए सरकार ने सत्ता संभाली तो भारत की रैंकिंग 120 थी, जो 2005 में 106 तक आ गई। वहीं, 2014 में यूपीए की सत्ता जाने तक रैंकिंग गिरकर 140 तक पहुंच गई थी।

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पत्रकारिता के लिए भारत 'खराब', विश्व प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2021 की रैंकिंग में 142वां स्थान मिला

पत्रकारिता के लिए भारत 'खराब', विश्व प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2021 की रैंकिंग में 142वां स्थान मिला

नई दिल्ली। भारत पत्रकारिता के लिहाज से दुनिया के सुरक्षित देशों में शुमार नहीं है। अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता के गैर लाभकारी संगठन रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) की ओर से जारी विश्व प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2021 में भारत की रैंकिंग पिछले वर्ष की तरह 142 ही है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत विश्व के सबसे अधिक खतरनाक देशों में है, जहां पत्रकारों को अपना काम सुविधाजनक तरीके से करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत, ब्राजील, मैक्सिको और रूस के साथ 'खराब' श्रेणी में है। 2004 में यूपीए सरकार ने सत्ता संभाली तो भारत की रैंकिंग 120 थी, जो 2005 में 106 तक आ गई। वहीं, 2014 में यूपीए की सत्ता जाने तक रैंकिंग गिरकर 140 तक पहुंच गई थी। हालांकि, यूपीए शासनकाल के दौरान 2006 व 2009 में 105 तक भी आ गई थी।

इस कारण आने लगी गिरावट: यूपीए शासनकाल के अंतिम दौर में वर्ष 2013 और 2014 में भारत की रैंकिंग 140 तक गिर गई। आरएसएफ के अनुसार इसमें सबसे बड़ा हाथ कश्मीर और छत्तीसगढ़ में पत्रकारों के साथ हिंसा का रहा।

4 पत्रकारों की मौत-
भारत में पिछले साल काम के दौरान चार पत्रकारों की मौत हुई है। देश में कवरेज के दौरान पत्रकारों को पुलिस हिंसा, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और अपराधियों की गैंग के हमलों का सामना करना पड़ा है।

सरकार ने बनाया मीडिया पर 'दबाव' -
रिपोर्ट में कहा है कि भारत में 2019 में भाजपा की भारी जीत के बाद मीडिया पर उसके हिंदू राष्ट्रवादी सरकार होने का प्रचार करने का दबाव बनाया है। हिंदुत्व का समर्थन करने वाले सार्वजनिक बहस को राष्ट्र-विरोधी विचार साबित करने पर जुटे हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल देश के मीडिया पर पकड़ को और मजबूत किया है।

श्रीलंका-नेपाल भी हमसे ऊपर-
180 देशों में सबसे ऊपर नॉर्वे है। इसके बाद फिनलैंड और डेनमार्क हैं। जबकि सबसे नीचे इरिट्रिया है। चीन 177वें, तुर्कमेनिस्तान 178वें, उत्तरी कोरिया 179 स्थान पर हैं। दक्षिण एशियाई देशों में पड़ोसी नेपाल 106वें, श्रीलंका 127वें, म्यांमार (तख्तापलट से पहले) 140वें, पाकिस्तान 145वें और बांग्लादेश 152वें स्थान पर हैं।

पत्रकारों को बनाया जाता है निशाना-
रिपोर्ट के अनुसार भारत में हिंदुत्व का समर्थन करने वालों के खिलाफ लिखने वाले पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है। विशेष रूप से महिलाओं को निशाना बनाया जाता है। इसी तरह अधिकारियों के खिलाफ लिखने वाले पत्रकारों के खिलाफ देशद्रोह जैसे मुदकमे दर्ज कर उन्हें परेशान किया जाता है।

73 देशों में हालात गंभीर -
रिपोर्ट में भारत के किसी भी आलोचना करने वाले पत्रकार के लिए भाजपा समर्थकों द्वारा बनाए गए डराने-धमकाने के माहौल को जिम्मेदार ठहराया है। ऐसे रिपोर्टर को 'राष्ट्र-विरोधी' के रूप में चिह्नित किया जाता है। 73 देशों में पत्रकारिता के लिए हालात गंभीर हैं।


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