
See how Indian army blasted Pakistan army head Quarter
श्रीनगर। जम्मू और कश्मीर में रविवार को जिला शोपियां के छह गांवों में सुरक्षाबलों ने आतंकियों का तलाशी अभियान शुरू कर दिया। इन तलाशी अभियानों का उद्देश्य आबादी वाले इलाकों से आंतकवादियों को दूर रखना है। राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर), राज्य पुलिस के विशेष अभियान समूह और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान गनौपुरा, बालपुरा, श्रीमल, बार्थीपोरा, चेक और वाथू में अभियान चला रहे हैं।
घाटी में सक्रिय हैं 300 आतंकी
इससे पहले सेना की 15वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एके बट ने आशंका जताई कि नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर आगामी दिनों में घुसपैठ की कोशिशों में बढ़ोतरी हो सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें मिली सूचना के मुताबिक, घाटी के अंदरूनी इलाकों में करीब 300 आतंकी सक्रिय हैं। इन आतंकियों को पकड़ने और खत्म करने के लिए सेना की ओर से लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। उत्तरी कश्मीर में एलओसी के उस पार मौजूद लॉचिंग पैडों पर करीब 250 आतंकी घुसपैठ के लिए तैयार बैठे हैं। इसमें पाकिस्तानी सेना उनकी मदद कर रही है। आशंका है कि आने वाले दिनों में एलओसी पर घुसपैठ के प्रयासों में वृद्धि होगी। एके बट ने यह जानकारी केरन में सेना द्वारा आयोजित 15 दिवसीय केरन मेले के समापन समारोह में पत्रकारों से चर्चा के दौरान दी।
आतंकियों को शरण दे रहे हैं स्थानीय लोग
उन्होंने बताया कि उत्तरी कश्मीर इलाके में लोग अब आतंकियों को शरण नहीं देते। इसकी वजह यह है कि यहां के लोग आतंकियों की असलियत समझ चुके हैं। दक्षिण कश्मीर के लोगों को भी चाहिए कि वो उत्तरी कश्मीर के लोगों से सबक लें और आतंकियों को शरण न दें। हाल ही में सोपोर में आतंकियों द्वारा एक ग्रामीण की हत्या करने के मामले में उनका कहना है कि दक्षिण कश्मीर की तुलना में उत्तरी कश्मीर शांत और लगभग सामान्य है। यहां के स्थानीय लोग आतंकियों और उन्हें तैयार करने वाले पाकिस्तान के मंसूबों के बारे में अच्छी तरह वाकिफ हो चुके हैं।
लोगों में दहशत बिठाने के लिए हत्याएं कर रहे हैं आतंकी
उन्होंने आगे बताया कि यही वजह है जिसके चलते अब लोगों में डर पैदा करने के लिए आतंकी मासूमों को अगवा करके उनकी हत्या कर रहे हैं। पूरी तरह से देखा जाए तो आतंकी हिंसा की वारदातों में अब लगातार कमी आ रही है। दक्षिण कश्मीर में भी हालात बेहतर हो रहे हैं। दक्षिण कश्मीर के लोगों को भी चाहिए कि वो उत्तरी कश्मीर के लोगों की तरह आतंकियों की मदद न करें। सुरक्षाबलों ने हमेशा आतंकियों के नापाक मंसूबों को नाकाम बनाया है और भविष्य में भी उन्हें कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।
इसके अलावा एके बट ने स्थानीय युवकों की आतंकी संगठनों में होने वाली लगातार बढ़ती भर्तियों को देश की सभी सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती करार दिया। उनके मुताबिक सेना का प्रमुख एजेंडा आतंकियों का सफाया करना है। इसके साथ ही स्थानीय युवाओं को मुख्यधारा के साथ जोड़कर सम्मानजनक जिंदगी जीने का मौका देना भी प्राथमिकता है। अब घाटी में होने वाले चुनावों के दौरान आतंकी किसी तरह का व्यवधान न पैदा कर सकें, इसके लिए सीआरपीएफ, सेना, राज्य पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां एकसाथ मिलकर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं।
Published on:
07 Oct 2018 04:35 pm
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