
Kader Shaikh turned his office to covid 19 hosital for Poor people
नई दिल्ली। कोरोना वायरस का असर देश से कम नहीं हुआ है। आज भी वही हालात हैं जो अब से 7-8 महीने पहले थे। फर्क सिर्फ इतना आ गया है पहले लोगों में डर था, जो अब कम हुआ है। लेकिन इलाज के खर्च और लोगों की परेशानी में कोई कमी नहीं आई है। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने आम लोग जो कोविड के इलाज का खर्च नहीं उठा सकते हैं के बारे में सोचा। अपने ऑफिस को 80 बेड का कोविड 19 हॉस्पिटल बनाया और गरीबों का इलाज का शुरू कराया। देखते ही देखते आम लोगों का मसीहा बन गया। सूरत के रियल एस्टेट बिजनेसमैन कादर शेख आज अपने तीनों बेटों के साथ इस सेवा में जुटे हुए हैं आइए आपको भी बताते हैं इस शख्स के बारे में, आखिर उनके अंदर यह सेवा भाव कब कैसे आया।
जब खुद कोविड का शिकार हुए कादर शेख
देश में अनसंग हीरो भी समस्या की बीज से ही उभरते हैं। उसके बाद उसे हल करने का प्रयास करते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी कादर शेख की भी है। सूरत में रियल एस्टेट का कारोबार करने वाले भी कोविड पेशेंट रह चुके हैं। जिसके बाद उन्हें प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा। जिसमें उनका काफी रुपया भी खर्च हुआ। ठीक होने के बाद घर आए और उसका एक सफर की शुरूआत हुई। सफर था कोविड पेशेंट्स की सेवा। उनके मन में आया कि इस महामारी से ठीक होने के लिए काफी रुपया खर्च होता है। जिसे वहन कर पाना हर किसी के बूते की बात नहीं। ऐसे लोगों के लिए कुछ नहीं किया तो इस जिंदगी का कुछ मतलब नहीं। फिर उन्होंने अपने बच्चों से बात की और उस पर करना शुरू कर दिया।
अपनॅ ऑफिस को बना दिया हॉस्पिटल
मन बनाकर उन्होंने अपने इस सेवा को मूर्त रूप देने का काम शुरू कर दिया। उन्होंने सूरत स्थित श्रेयम कांप्लेक्स के ऑफिस को हॉस्पटल में तब्दील करने का काम शुरू किया। 30,000 स्कवॉयर फुट के ऑफिस में 85 बेड्स लगवाए और ऑक्सीजन सिलेंडर भी लगावाए। उन्होंने अपने हॉस्पिटल में 15 आईसीयू बेड के अलावा मेडिकल वर्कर्स और इक्विपमेंट्स की सप्लाई के लिए सूरत नगर निगम के साथ समझौता भी कर लिया। डिप्टी हेल्थ कमिश्नर हॉस्पिटल का दौरा किया और हॉस्पिटल को अप्रूवल मिल गया। उन्होंने इस हॉस्पिटल का नाम हीबा रखा है। हीबा उनकी पोती का नाम है। यहां पर कोविड पेशेंट्स का मुफ्त में इलाज होता है।
शुरू से ऐसी नहीं थी जिंदगी
कादर शेख कहते हैं कि उनकी जिंदगी शुरू से ही ऐसी नहीं थी।वो बेहद साधारण और मामूली आदमी थे। जिंदगी में सलफता पाने के लिए उन्होंने काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उसके बाद आज इस मुकाम पर पहुंचा हूं। इसलिए मन में आया कि जब मैं इन मुश्किल दिनों में दूसरे लोगों के काम नहीं आया तो क्या फायदा। वो और उनके साथ तीनों बेटे लोगों की सेवा में जुटे हुए हैं। अब उन्होंने हॉस्पिटल में डॉक्टर्स और नर्सों की व्यवस्था कर दी है। पेशेंट्स के लिए मुफ्त में भोजन की भी व्यवस्था की है। जल्द ही और भी सर्विस शुरू हो जाएंगी ताकि आम लोगों को किसी तरह की तकलीफ ना हो।
Updated on:
30 Nov 2020 09:28 am
Published on:
30 Nov 2020 09:24 am
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