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केरल बाढ़: 7 साल पहले ही इस त्रासदी के बारे में किया गया था अगाह, लेकिन सरकार रही बेखबर

पर्यावरण वैज्ञानिक आपदा के लिए राज्य में तेजी से हुई पेड़ों की कटाई को बड़ी वजह बता रहे हैं।  

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केरल बाढ़: 7 साल पहले ही इस त्रासदी के बारे में किया गया था अगाह, लेकिन सरकार रही बेखबर

कोच्चि: केरल में बेहिसाब बारिश और बाढ़ कहर बनकर टूटी है। यहां अभी तक 350 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं करीब ढाई लाख घरों को नुकसान पहुंचा है। वैसे केरल में मानसून के दौरान अन्य राज्यों की तुलना में अधिक बारिश होनी कोई नई बात नहीं है। हर साल केरल में बाकी राज्यों की तुलना में ज्यादा होती है। इस साल अभी तक 170% ज्यादा बारिश हुई है। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक इस साल केरल में कम दबाव के कारण सामान्य से 37% ज्यादा बारिश हुई है। पर्यावरणविद् के मुताबिक केरल में बाढ़ से हुए आपदा के लिए राज्य में तेजी से हुई वनों की कटाई और पहाड़ों की खुदाई है और इसमें राज्य सरकार जिम्मेदार है। पर्यावरण वैज्ञानिक माधव गाडगिल ने शनिवार को दावा किया कि केरल में भीषण बाढ़ और भूस्खलन की त्रासदी मानव निर्मित है। वेस्टर्न घाटस ईकोलॉजी एक्सपर्ट पैनल के प्रमुख रह चुके गाडगिल ने कहा कि नदियों के इलाके में अवैध निर्माण और पत्थरों के अनधिकृत खनन ने इस समस्या को विकराल बनाया है।

2011 में खतरे की घंटी का अलर्ट जारी किया गया

सरकार द्वारा गठित इस पैनल ने 2011 में सौंपी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि पश्चिमी घाट के तहत आने वाले केरल के कई हिस्सों को ईकोलॉजी के लिहाज से संवेदनशील घोषित किया जाना चाहिए। हालांकि, राज्य सरकार ने इन सिफारिशों का विरोध किया था। गाडगिल ने कहा कि केरल में इस मौसम में हुई बारिश की मात्रा पूरी तरह अप्रत्याशित नहीं है, लेकिन इस बार हुई तबाही पहले कभी देखने को नहीं मिली। वहीं केरल सरकार ने राज्य में आई भीषण बाढ़ के लिए पड़ोसी राज्य की सरकारों को जिम्मेदार ठहराया है।

डैम के गेट खोलने से पहले अलर्ट जारी नहीं

दरअसल केरल में 41 छोटी-बड़ी नदियों पर 80 डैम हैं, जिनमें 36 बड़े हैं। एक डैम सेफ्टी अफसर ने कहा कि बड़े डैमों से बाढ़ को मैनेज किया जाता रहा है। लेकिन, इस बार बारिश की चेतावनियों के चलते बड़े डैमों के गेट पहले ही खोल दिए गए। जबकि, इनमें भारी बारिश के दौरान पानी स्टोर किया जा सकता था। एक दिन में 164% ज्यादा बारिश हुई, कुछ जगह तो 600% तक बारिश हुई। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड ने बानासुरासागर डैम से पानी छोड़ने से पहले अलर्ट तक जारी नहीं किया। इससे लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचने का समय नहीं मिला।

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