
नई दिल्ली।
तीन नए कृषि कानून के विरोध में किसानों का आंदोलन तीसरे महीने भी लगातार जारी है। हालांकि, किसान नेता पहले दिन से कह रहे हैं कि आंदोलन तब तक चलेगा, जब तक सरकार तीनों काूननों को रद्द नहीं कर देती और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर भी कानून नहीं बना देती। सरकार अगर मांगें नहीं मानती तो हम वर्ष 2024 तक यूं ही विरोध-प्रदर्शन करते हुए आंदोलन जारी रखेंगे।
इस बीच, संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक बुधवार को हुई। इसमें उन्होंने आंदोलन को और तेज करने का फैसला लेते हुए आगामी 12 फरवरी, 14 फरवरी, 16 फरवरी और 18 फरवरी को कुछ अन्य गतिविधियां किए जाने के फैसला लिया। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में तय किया गया उसके मुताबिक--
1- आगामी 12 फरवरी से राजस्थान के सभी टोल प्लाजा फ्री कर दिए जाएंगे।
2- 14 फरवरी को पुलवामा शहीदों की याद में देशभर में मशाल जुलूस और दूसरे कार्यक्रम आयोजित होंगे।
3- 16 फरवरी को सर छोटूराम की जयंती पर देशभर में किसान एकजुटता दिखाएंगे।
4- 18 फरवरी को दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक रेल रोको प्रदर्शन होगा।
इनमें टोल फ्री किया जाना और रेल रोको प्रदर्शन सरकार और आमजन दोनों की मुसीबत बढ़ाने वाला होगा। हालांकि, हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में यह बात ऐलान किया कि तीनों नए कानून वैकल्पिक हैं न कि अनिवार्य। उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार तीन नए कृषि कानूनों पर किसानों के तार्किक सुझावों को स्वीकार करने के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए कुछ घोषणाएं कीं।
उल्लेखनीय है कि बीतेे करीब तीन महीने से दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन चल रहा है। प्रधानमंत्री ने लोकसभा में कहा कि अफवाह फैलाई जा रही है कि ये तीनों कानून किसानों के खिलाफ है। ये कानून संसद में कृषि क्षेत्र में सुधार को देखते हुए पारित किए गए, क्योंकि मौजूदा और आने वाले समय की जरूरत है।
Published on:
11 Feb 2021 10:48 am
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