
नई दिल्ली।
गर्मी का मौसम आने को है। हर साल दिल्ली में गर्मी के मौसम में पानी की किल्लत से हर कोई वाकिफ है। अक्सर यह पुराने या उन इलाकों में होता है, जहां वीआईपी नहीं रहते। मगर इस साल एक निर्णय की वजह से वीआईपी ही नहीं वीवीआईपी भी पानी की किल्लत से जूझ सकते हैं और यह स्थिति अगले महीने मार्च से ही देखने को मिल सकती है। हालांकि, यह संकट करीब एक महीने तक रह सकता है।
जी हां, मार्च महीने से दिल्ली में पानी को लेकर बड़ा संकट खड़ा होने जा रहा है। ब्यास नदी से दिल्ली को मिलने वाले 496 क्यूसेक पानी को बंद किए जाने की तैयारी है। इससे एक तिहाई दिल्ली जलसंकट से जूझेगी और यह तय है कि पानी को लेकर कोहराम मचेगा।
जलसंकट की स्थिति क्यों
दिल्ली में होने वाली जलापूर्ति की एक तिहाई यानी 25 प्रतिशत पानी ब्यास नदी से आता है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की एजेंसी भाखड़ा नांगल मैनेजमेंट बोर्ड रिपेयर मेंटेनेंस की वजह से 25 मार्च से 24 अप्रैल तक ब्यास हाइडल चैनल बंद करने जा रही है। इससे दिल्ली में जलसंकट की स्थिति रहेगी।
राघव चड्ढा ने क्या कहा
आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा के मुताबिक, केंद्र सरकार ब्यास नदी से दिल्ली को मिल रहा 496 क्यूसेक पानी, जो ट्रीटमेंट प्लांट से गुजरने के बाद उपयोग लायक करीब 232 एमजीडी पानी होता है, को एक महीने के लिए रोकने जा रही है। इससे दिल्ली के कई इलाकों में पानी के लिए कोहराम मचेगा, क्योंकि दिल्ली की जनता यमुना, गंगा और रावी तथा ब्यास नदी के अलावा भूमिग्रत जल पर निर्भर हैं। चड्ढा ने इस संबंध में केंद्र और हरियाणा सरकार को मेनटेनेंस का काम स्थगित करने के लिए चिठ्ठी भी लिखी है। इसके अलावा उन्होंने बैठक बुलाने की मांग भी की है।
पानी के लिए चार स्रोतों पर निर्भर है दिल्ली
राघव चड्ढा के अनुसार, दिल्ली के चारों तरफ दूसरे राज्य है। यह चारों ओर जमीन से घिरी है। दिल्ली की अपनी कोई वॉटर बॉडी नहीं है। इसेस दिल्ली को जलापूर्ति के लिए चार स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है। इनमें पहला, यमुना नदी का पानी है, जो हरियाणा से होकर आता है। दूसरा, गंगा नदी का पानी है, जो उत्तर प्रदेश से होकर आता है। तीसरा, रावी-ब्यास नदी का पानी है, जो नांगल से होकर आता है। चौथा भूमिगत पानी है, जिसे रिचार्ज कर निकाला जाता है।
वीवीआईपी भी प्रभाावित
दिल्ली में अगर एक तिहाई हिस्से में जलापूर्ति प्रभावित होगी, तो इससे कई बड़े और महत्वपूर्ण संस्थानों पर भी असर पड़ेगा। इसमें राष्ट्रपति कार्यालय, राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न देशों के दूतावास भी शामिल हो सकते हैं।
Published on:
26 Feb 2021 09:06 am
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