scriptसिफारिशः ऐसा कानून बने कि विवाह के बाद निकाह न कर पाएं हिंदू | Law Panel: Steps needed to stop bigamy among Hindus | Patrika News

सिफारिशः ऐसा कानून बने कि विवाह के बाद निकाह न कर पाएं हिंदू

locationनई दिल्लीPublished: Sep 04, 2018 12:49:33 pm

विधि आयोग ने सिफारिश की है कि हिंदू धर्म में दूसरा विवाह करने के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने के लिए कानून बनाया जाए।

Second Marriage

सिफारिशः ऐसा कानून बने कि विवाह के बाद निकाह न कर पाएं हिंदू

नई दिल्ली। विधि आयोग ने सिफारिश की है कि हिंदू धर्म में दूसरा विवाह करने के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने के लिए कानून बनाया जाए। अपनी रिपोर्ट में लॉ पैनल का कहना है कि ऐतिहासिक आंकड़ों से पता चलता है कि तमाम हिंदुओं ने दूसरी शादी करने के लिए इस्लाम धर्म अपना लिया। इसकी वजह यह थी कि दूसरे विवाह पर रोक न लग सके। सरकार से की गई सिफारिश में आयोग का कहना है कि ऐसे विवाह रोकने के लिए कानूनी प्रावधान की जरूरत है।
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लॉ पैनल ने अपनी इस सिफारिश के समर्थन में कई रिपोर्ट्स और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी हवाला दिया। पैनल के मुताबिक इसके खिलाफ कानून है, लेकिन फिर भी ऐसा हो रहा है। पैनल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि आईपीसी की धारा 494 के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति अपने पति या पत्नी के जिंदा रहते हुए दूसरी शादी नहीं कर सकता। इस धारा का उल्लंघन करने पर उसे 7 साल तक की कैद की सजा का प्रावधान है।
Marriage
आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक तथ्य बताते हैं कि हिंदुओं में साथी के जिंदा रहते हुए दूसरी शादी का प्रचलन जारी है। यही नहीं आंकड़ों के मुताबिक तमाम लोगों ने दूसरी शादी करने के लिए हिंदू से इस्लाम में धर्म परिवर्तन भी किया। वर्ष 1994 में सरला मुद्गल बनाम भारत सरकार मामले में भी इससे संबंधित बात सामने आई थी।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि ऐसा तब भी हो रहा है, जब यह स्पष्ट कानून है कि धर्मांतरण के बाद ऐसी कोई भी शादी मान्य नहीं होगी, अगर धर्म बदल चुके व्यक्ति के पार्टनर ने ऐसा नहीं किया है। दोनों व्यक्तियों की शादी जिस धर्म में हुई थी, उसके नियम तब तक चलते रहेंगे, जब तक दोनों खुद खुद धर्म नहीं बदल लेते।
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वहीं, पहले भी जीवनसाथी के अधिकारों को लेकर जारी की गई विधि आयोगों की रिपोर्टों में बताया गया था कि एक विवाह के नियम वाले धर्म से बहुविवाह वाले धर्म में परिवर्तन करने के बाद भी उसे मान्यता नहीं दी गई है। लॉ पैनल का अब कहना है कि ऐसे में कानून में स्पष्टता लाने के लिए यह बहुत जरूरी है कि इस पर बिल्कुल स्पष्ट नियम लाया जाए। इससे जुड़े अलग-अलग मामले देखने से अच्छा है कि बिल्कुल साफ नियम बना दिया जाए।
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