scriptSupreme Court के जज का खुलासा, Lockdown में बढ़े परिवारों में झगड़े और बाल शोषण | Lockdown in India: Rise of child abuse and violence within family case | Patrika News

Supreme Court के जज का खुलासा, Lockdown में बढ़े परिवारों में झगड़े और बाल शोषण

locationनई दिल्लीPublished: Jun 05, 2020 12:32:28 pm

Child Abuse और Family Violence के मामलों में देखी गई तेजी।
Work from Home, Migration, Job loss बना तनाव की वजह।
Lockdown के दौरान लोगों में Psycological issues दिखे, महिलाओं का बढ़ा काम।

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना ( justice n v ramana ) ने कहा कि देश में कोरोना वायरस को लेकर लागू लॉकडाउन ( Covid-19 Lockdown in india ) की अवधि के दौरान परिवार के भीतर हिंसा ( family violence ) और बाल दुर्व्यवहार ( child abuse ) के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। न्यायमूर्ति रमन्ना ( justice n v ramana ) ने यह बातें एनजीओ कॉमनवेल्थ ह्यूमैन राइट्स इनिशिएटिव के सहयोग से तैयार ‘हैंडबुक ऑफ फॉर्मेट्स: सुनिश्चित प्रभावी कानूनी सेवाओं’ का विमोचन करते हुए अपने मुख्य भाषण में कहीं।
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राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष और सर्वोच्च अदालत ( Suprme Court of India ) के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमन्ना ( justice n v ramana ) ने कहा कि महामारी ( Coronavirus Pandemic ) के कारण “महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार” भी प्रभावित हुए हैं। इस तरफ लक्ष्याधारित कार्य योजना बनाकर अनुशासित ढंग से काम करने की जरूरत है।
वेबिनार के जरिये आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “लॉकडाउन के चलते हजारों लोग अपनी जिंदगी और आजीविका खो चुके हैं। बड़े पैमाने पर लोगों का प्रवासन ( migration ) हुआ है। लॉकडाउन ने ही परिवार के भीतर मनोवैज्ञानिक समस्याओं ( psychological impact ) और हिंसा को जन्म दिया है। महिलाओं पर काम का अधिक बोझ पड़ा है। बच्चे स्कूल जाने में असमर्थ हैं। इसके अलावा घर से काम करने का भी पारिवारिक जीवन पर असर पड़ा है।”
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उन्होंने कहा, “हमारे संज्ञान में एक महत्वपूर्ण क्षेत्र जो आया है वो परिवार के भीतर ही बढ़ रही हिंसा है… हमने बाल उत्पीड़न की घटनाओं की संख्या में भी वृद्धि देखी है।”

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न्यायमूर्ति रमन्ना ( justice n v ramana ) ने कहा कि स्थिति की तात्कालिकता को स्वीकार करते हुए “हमने वन स्टॉप सेंटर स्थापित किए हैं और हर जिले में महिला वकीलों के पैनल टेलीसर्विसेज के माध्यम से कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए लगातार प्रयास में लगे हैं”। वहीं, अन्य मामलों में घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत याचिकाएं दायर की गई हैं।
उन्होंने आगे कहा कि कानूनी सेवाओं के अधिकारियों के लिए एक और ध्यान देने वाला महत्वपूर्ण क्षेत्र जेलों में भीड़भाड़ में कमी लाने को सुनिश्चित करना है।

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