Uttarakhand Govt राज्य के श्रद्धालुओं को ही दे रही है मौका।
अन्य राज्यों से आपसी सहमति के बाद आ सकेंगे वहां के तीर्थयात्री।
COVID-19 Lockdown in India के चलते पहली बार रुकी रही Chardham Yatra
chardham yatra
देहरादून। कोरोना वायरस को लेकर लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन ( COVID-19 Lockdown in India ) के दौरान उत्तराखंड में चारधाम यात्रा ( Chardham Yatra ) की तैैयारियां जारी हैं। आगामी 8 जून से सरकार चारधाम यात्रा की शुरुआत करेगी। हालांकि इसके साथ ही लॉकडाउन ( coronavirus Lockdown ) को लेकर जारी कई पाबंदियां भी लागू रहेंगी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया स्वीकार, भारतीय सीमा में काफी संख्या में चीनी सैनिक घुसे उत्तराखंड सरकार ( Uttarakhand Govt ) इन हिंदू तीर्थ स्थलों की वार्षिक यात्रा के सुचारू रूप से संचालन की तैयारी कर रही है। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया तीर्थयात्रियों के लिए केदारनाथ ( Kedarnath ), बद्रीनाथ ( Badrinath ), गंगोत्री ( Gangotri ) और यमुनोत्री ( Ymunotri ) मंदिर के कपाट आगामी 8 जून सोमवार से खोले जाएंगे।
मदन कौशिक के मुताबिक उत्तराखंड सरकार श्रद्धालुओं की सीमित संख्या के साथ चारधाम यात्रा की शुरुआत करेगी। वहीं, शुरुआत में सिर्फ उत्तराखंड निवासी लोगों को ही इस यात्रा की अनुमति दी जाएगी। जबकि बाकी प्रदेशों से चर्चा कर वहां के श्रद्धालुओं के लिए चारधाम यात्रा शुरू की जाएगी।
इस संबंध में जारी बयान में बताया गया कि सीमित संख्या के साथ यात्रा की शुरुआत की जाएगी। दूसरे प्रदेशों से बसों के संचालन की परमिशन मिलने के बाद ही उन राज्यों के श्रद्धालुओं के लिए इसे खोला जाएगा। उत्तराखंड और बाकी राज्यों की आपसी सहमति के बाद बसों के संचालन पर निर्णय होगा।
सामने आई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने पीएम मोदी के सामने रख दीं 1-2 नहीं 26 मांगें वहीं, गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में चार धाम की ओर जाने वाली सड़कों की मरम्मत का काम जारी है। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के लिए पुलिस के आला अधिकारियों की बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। चारधाम यात्रा में सभी महत्वपूर्ण पड़ावों पर पर्याप्त पुलिस बल को तैनात किया जाएगा।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट बीते 24 अप्रैल को, केदारनाथ मंदिर के कपाट 29 अप्रैल को और बद्रीनाथ धाम के कपाट बीते 15 मई को खोल दिए गए थे, हालांकि लॉकडाउन के चलते इस दौरान किसी को आने की इजाजत नहीं थी। मंदिर के भीतर पुजारी समेत चुनिंदा लोग ही मौजूद थे। यह पहला ऐसा मौका था जब चारधाम जाने वाले तीर्थयात्री लॉकडाउन के चलते इस यात्रा से वंचित रहे।