इस बयान से मुकरने पर विवश हुईं ममता माना जा रहा है कि इस टिप्पणी पर भाजपा की आक्रामक सियासी हमले की तैयारी की आशंका को भांपते हुए ममता गृहयुद्ध की बात से मुकरने को विवश हुई हैं। टीएमसी प्रमुख की गृहयुद्ध संबंधी टिप्पणी पर भाजपा ने जिस तरह का सियासी हमला किया उसके बाद ममता को पश्चिम बंगाल में इसके राजनीतिक नुकसान की आशंका सताने लगी है। ममता ने इस दौरान कहा कि उनकी चिंता 40 लाख लोगों की है जिनका नाम एनआरसी की सूची में नहीं है। गृहयुद्ध वाले बयान पर अपनी सफाई देने के दौरान दीदी ने यह भी कहा कि भाजपा 2019 में सत्ता में नहीं आ रही और इसीलिए वह राजनीतिक रुप से उग्र है।
ध्रुवीकरण का मौका न मिले इस मंगलवार को दिल्ली पहुंची ममता को अपने बयान का अंदाजा तब लगा जब वह कांग्रेसी नेता से मिलीं। मीडिया सूत्रों के मुताबिक इन नेताओं से मिलने के दौरान उन्हें अंदेशा हुआ कि भाजपा इस बयान से पश्चिम बंगाल में राजनीतिक फायदा उठा सकती है। गौरतलब है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इसी 11 अगस्त को पंश्चिम बंगाल में एक रैली को संबोधित करने वाले हैं। ऐसे में उनके इस बयान को भाजपा वहां बड़ा मुद्दा बना सकती है। ममता ने कोलकता में एक पत्रकार वार्ता के दौरान एनसीआर पर गृहयुद्ध और खून खराबे की आशंका जाहिर की थी। इसके बाद से कांग्रेस लगातार ममता से संपर्क में है। दरअसल कांग्रेस की चिंता इस बात को लेकर है कि ममता की एनआरसी पर आक्रामकता से भाजपा को इस मुद्दे पर देशव्यापी सियासी ध्रुवीकरण का मौका मिल सकता है। इसीलिए कांग्रेस एनआरसी पर सतर्क और संयम प्रतिक्रिया देते हुए प्रभावित लोगों के साथ मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की बात कह रही है।