
जूट श्रमिकों का 130 प्वाइंट डीए बढ़ा
- ढाई लाख मजदूरों को लाभ
- 1 अगस्त से हुआ लागू
कोलकाता.
केंद्रीय श्रम मंत्रालय के अधीनस्थ संस्था लेबर ब्यूरो ने जूट श्रमिकों का डीए 130 प्वाइंट बढ़ाने की घोषणा की है। इससे पश्चिम बंगाल के करीब ढाई लाख जूट श्रमिकों को लाभ पहुंचेगा। हर तीन महीने के अंतराल में यह घटता-बढ़ता है। केंद्रीय संस्था का यह निर्देश अगस्त 2018 से लागू हो गया है। फरवरी 2018 में प्राइस इंडेक्स के अनुसार 74 प्वाइंट बढऩे के बावजूद मई 2018 में 81 प्वाइंट कम हो गया था। फिर से 130 प्वाइंट डीए बढऩे से जूट श्रमिकों में खुशी का माहौल है। वहीं जूट मालिकों में आर्थिक बोझ बढऩे की चिंता भी है। सूत्रों ने बताया कि डीए बढऩे पर जूट श्रमिक को प्रतिदिन करीब 13.50 रु का लाभ पहुंचेगा। राज्य के जूट मिलों में स्थायी, बदली, स्पेशल बदली तथा पीएफ के दायरे में रहने वाले सभी श्रमिक इससे लाभान्वित होंगे। जबकि भागा और वाउचर पर काम करने वाले श्रमिक इससे वंचित हो सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि जूट मिलों में नए भर्ती हुए श्रमिक भी डीए का लाभ पाने से वंचित होंगे।
फैसले का स्वागत-
वामपंथी श्रमिक संगठन सीटू समर्थित बंगाल चटकल मजदूर यूनियन के प्रदेश सचिव तथा पूर्व श्रम मंत्री अनादि साहू ने श्रमिकों का डीए वृद्धि का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि जूट मिलों में डीए को लेकर कोई बड़ी शिकायत नहीं है पर पीएफ, ईएसआई और ग्रेच्यूटी भुगतान को लेकर अस्वच्छता है। सीटू नेता ने कहा कि उनका संगठन जूट श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन 18,000 रुपए करने, लंबे समय से काम कर रहे बदली और स्पेशल बदली स्तर के श्रमिकों को स्थायी करने तथा रिटायर हुए श्रमिकों को यथाशीघ्र ग्रेच्यूटी का भुगतान की मांग करती है।
सरकार करेगी लागू-
दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस समर्थित श्रमिक संगठन की नेता तथा राज्यसभा सांसद दोला सेन ने बताया कि जूट श्रमिकों के डीए से संबंधित लेबर ब्यूरो के निर्देशों को राज्य सरकार अक्षरश: लागू करेगी। राज्य सरकार और तृणमूल श्रमिक संगठन जूट श्रमिकों के हित में केंद्र से लड़ रहा है। इधर, जूट मिल मालिक 130 प्वाइंट डीए वृद्धि को बड़ा फैसला मान रहे हैं। मालिकों का कहना है कि उत्पादन और उत्पादकता पर लगाम नहीं है। प्रबंधन पर आर्थिक बोझ और बढ़ जाएगा।
Published on:
01 Aug 2018 10:32 pm
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