
सुप्रीम कोर्ट ने खत्म किया व्यभिचार कानून, खतरे में पड़ जाएंगी शादियां?
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ऐतिहासिक फैसले में भारतीय दंड संहिता (आईपीएस) की धारा 497 को असंवैधानिक और मनमाना ठहराया है, जिसके तहत व्यभिचार (एडल्ट्री) अपराध था। फैसला सुनाने वाले एक जज ने कहा कि महिलाओं को अपनी जागीर नहीं समझा जा सकता है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि व्यभिचार अपराध नहीं हो सकता। यह निजता का मामला है। पति, पत्नी का मालिक नहीं है। महिलाओं के साथ पुरूषों के समान ही व्यवहार किया जाना चाहिए। लेकिन यहां बड़ा सवाल यह है कि एडल्ट्री पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का लोगों के वैवाहिक जीवन पर कितना पड़ेगा। सवाल यह भी है कि क्या इस फैसले से शादियां खतरे में नहीं पड़ जाएंगी।
कई देशों में व्यभिचार को अपराध से कर दिया बाहर
दरअसल, चीफ जस्टिस ने जस्टिस ए.एम.खानविलकर की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि कई देशों में व्यभिचार को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह अपराध नहीं होना चाहिए, और लोग भी इसमें शामिल हैं। वहीं इस फैसले पर महिलाओं के भी अपने तर्क हैं। दिल्ली की रहने वाली एक महिला का कहा है कि यह बड़ी रोचक बात है कि न्यायिक प्रणाली महिलाओं और पुरुषों में बराबरी की बात करती है, लेकिन वहां पर बहुत विसंगतियां हैं। इसका एक प्रभाव यह भी हो सकता है कि कानून के शिंकजे से बेखौफ महिला-पुरुष शादी से बाहर प्रेम और शारीरिक सुख की तलाश कर सकते हैं।
जिसका सीधा प्रभाव दपंति के वैवाहिक जीवन पर पड़ सकता है। इसके साथ ही भारतीय संस्कृति की मूल संस्था परिवार और विवाह की मान्यता भी खतरे में आ सकती है।
Published on:
27 Sept 2018 02:26 pm
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