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Modhera Sun Temple : गुजरात के इस मंदिर के बारे में 10 खास बातें, जो आप नहीं जानते होंगे

locationनई दिल्लीPublished: Aug 27, 2020 10:58:08 am

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Dhirendra

यह वास्तुशिल्प कला ( architectural art ) का उत्कृष्ट नमूना भी है।
Modhera Sun Temple गुजरात की प्राचीन गौरवगाथा का भी प्रमाण है।
मोढेरा सूर्य मंदिर का निर्माण सूर्यवंशी सोलंकी राजा भीमदेव प्रथम ( King Bhimdev Pratham ) ने 1026 ई. में करवाया था।

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मोढेरा सूर्य मंदिर वास्तुशिल्प कला का उत्कृष्ट नमूना है।

नई दिल्ली। देश के अन्य राज्यों की तरह गुजरात ( Gujrat ) भी कई भव्य मंदिरों का घर है। गुजरात का हर कोना अपने आप में अनूठा है। ऐसा ही एक भव्य मोढेरा सूर्य मंदिर गुजरात के मेहसाणा जिले के मोढेरा गांव ( Modhera Village ) में पुष्पापति नदी ( Pushpavati River ) के किनारे स्थित है। यह वास्तुशिल्प कला ( architectural art ) का उत्कृष्ट नमूना भी है।
यह गुजरात के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। मोढेरा सूर्य मंदिर प्राचीन गुजरात की गौरवगाथा का भी प्रमाण भी है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Prime Minister Narendra Modi ) ने भी 55 सेंकेंट का एक वीडियो भी जारी किया है। आइए हम आपको बताते हैं इस मंदिर के बारे में खास बातें।
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1. गुजरात के प्रसिद्ध शहर अहमदाबाद से क़रीब 100 किलोमीटर दूर और पाटण नामक स्थान से 30 किलोमीटर दक्षिण दिशा में पुष्पावती नदी के किनारे बसा एक प्राचीन स्थल है- मोढेरा गांव।
2. मोढेरा नामक गांव में भगवान सूर्य देव का विश्व प्रसिद्ध सूर्य मन्दिर है, जो गुजरात के प्रमुख ऐतिहासिक व पर्यटक स्थलों के साथ ही गुजरात की प्राचीन गौरवगाथा का भी प्रमाण है।

3 . मोढेरा सूर्य मन्दिर का निर्माण सूर्यवंशी सोलंकी राजा भीमदेव प्रथम ने 1026 ई. में करवाया था। अब यह सूर्य मन्दिर अब पुरातत्व विभाग की देख-रेख में आता है और हाल ही में यहाँ पर्यटन स्थलों के रख-रखाव में काफ़ी सुधार हुआ है।
4. भारतीय वास्तुकला और शिल्पकला का अद्मुत उदाहरण है। इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पूरे मंदिर के निर्माण में जुड़ाई के लिए कहीं भी चूने का उपयोग नहीं किया गया है।
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5. ईरानी शैली में निर्मित इस मंदिर को भीमदेव ने दो हिस्सों में बनवाया था। पहला हिस्सा गर्भगृह का और दूसरा सभामंडप का है। मंदिर के गर्भगृह के अंदर की लंबाई 51 फुट और 9 इंच तथा चौड़ाई 25 फुट 8 इंच है।
6. गंर्भगृह और सभा मंडपों इन स्तंभों पर विभिन्न देवी-देवताओं के चित्रों के अलावा रामायण और महाभारत के प्रसंगों को बेहतरीन कारीगरी के साथ दिखाया गया है।

7. इन स्तंभों को नीचे की ओर देखने पर वह अष्टकोणाकार और ऊपर की ओर देखने से वह गोल नजर आते हैं।
8. सूर्य की पहली किरण इस मंदिर का निर्माण कुछ इस प्रकार किया गया था कि जिसमें सूर्योदय होने पर सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह को रोशन करे। सभामंडप के आगे एक विशाल कुंड स्थित है जिसे लोग सूर्यकुंड या रामकुंड के नाम से जानते हैं।
9. गुजरात का खुजराओ मोढेरा के इस सूर्य मन्दिर को गुजरात का खजुराहो के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस मन्दिर की शिलाओं पर भी खजुराहो जैसी ही नक़्क़ाशीदार अनेक शिल्प कलाएँ मौजूद हैं। इस विश्व प्रसिद्ध मन्दिर की स्थापत्य कला की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पूरे मन्दिर के निर्माण में जुड़ाई के लिए कहीं भी चूने बिल्कुल भी नहीं हुआ है।
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10. प्राचीनकाल से है विखाय्त प्राचीन काल में मोढ़ेरा के आसपास का पूरा क्षेत्र ‘धर्मरन्य’ के नाम से जाना जाता था। इस प्रसिद्ध मन्दिर के आस-पास बगीचा बना हुआ है और साफ-सफाई का भी पूरा ध्यान रखा गया है। चूंकि यहाँ पूजा-अर्चना आदि नहीं होती, इसीलिए श्रद्धालुओं की भीड़ बहुत कम होती है।
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