
Monoclonal antibody therapy improves health of two Corona patients in delhi hospital
नई दिल्ली। कोरोना वायरस ( Coronavirus ) की दूसरी लहर लगातार कमजोर हो रही है, लेकिन खतरा अभी भी टला नहीं है। यही वजह है कि इस महामारी से निपटने के लिए लगातार कोशिशें जारी हैं। आए दिन कोरोना वायरस के इलाज के लिए नई स्टडी सामने आ रही है।
कोरोना के इलाज में कारगर बताई जाने वाली मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी ( Monoclonal Antibody Therapy ) का इस्तेमाल अब भारत में भी शुरू हो गया है। खास बात यह है कि राजधानी दिल्ली में ही इसके शुरुआती नतीजे राहत देने वाले हैं।
दिल्ली में दो मरीज हुए ठीक
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ही मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी के अच्छे नतीजे मिले हैं। दो मरीजों की सेहत में खासा सुधार देखने को मिला। सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने कोरोना के मरीजों को मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी दी। डॉक्टरों की मानें तो Monoclonal antibody therapy for covid 19 से 12 घंटे में कोरोना के दो मरीजों की सेहत में काफी सुधार दिखने लगा।
सर गंगाराम अस्पताल ( SGRH ) की मेडिकल डिपार्टमेंट की सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर पूजा खोसला के मुताबिक 36 वर्षीय एक स्वास्थ्यकर्मी तेज बुखार, खांसी, मांसपेशी दर्द, बेहद कमजोरी और व्हाइट ब्लड सेल की कमी से पीड़ित थे। उन्हें बीमारी के छठे दिन मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल दिया गया।
डॉ. खोसला के मुताबिक इस तरह के लक्षण वाले मरीज मध्यम से गंभीर स्थिति में तेजी से पहुंच जाते हैं। पांच दिन तक मरीज को तेज बुखार रहा और व्हाइट ब्लड सेल का स्तर 2,600 तक गिर गया था।
इसके बाद उन्हें मोनोक्लोनल एंडीबॉडी थेरेपी दी गई। महज 8 घंटे बाद मरीज की सेहत में सुधार दिखने लगा। यही नहीं रोगी को अस्पताल से छुट्टी मिल गई।
वहीं दूसरा मामला दूसरा मामला 80 वर्षीय मरीज आर के राजदान का है। वह मधुमेह और उच्च रक्तचाप से पीड़ित थे और वह तेज बुखार और खांसी के शिकार थे। उन्हें पांचवें दिन रेगसीओवी 2 दिया गया। मरीज के स्वास्थ्य में 12 घंटे के भीतर सुधार हुआ।
ये है फायदा
डॉक्टर खोसला के मुताबिक सही समय पर मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थैरेपी का इस्तेमाल किया जाए तो यह इलाज में बड़ा बदलाव ला सकता है।
इससे ज्यादा खतरे का सामना कर रहे लोगों को अस्पताल में भर्ती करने या उनकी स्थिति को और खराब होने से बचाया जा सकता है।
स्टेरॉयड और इम्यूनोमॉड्यूलेशन के इस्तेमाल में कमी
मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी का सबसे बड़ा फायदा ये भी है इसकी मदद से स्टेरॉयड या इम्यूनोमॉड्यूलेशन के इस्तेमाल को कम किया जा सकता है। दरअसल स्टेरॉयड के ज्यादा इस्तेमाल से ही कई मरीजों में पोस्ट कोविड कई तरह के साइड इफेक्ट देखने को मिल रहे हैं। यही वजह है कि लगातार इसके कम इस्तेमाल पर चर्चा चल रही है। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी से म्यूकरमाइकोसिस ( Black Fungus ) या कई तरह के अन्य संक्रमणों का खतरा कम हो जाता है।
दरअसल हाल में भारत में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी की इजाजत दी गई थी। इसके तहत कोविड मरीजों को दो दवाइयों कासिरिविमाब (Casirivimab) और इम्देवीमाब (Imdevimab) का मिक्सचर दिया जाता है।
इस दवाई को देने में 20-30 मिनट का वक्त लगता है, लेकिन ये कारगर साबित होती है। अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी यही थेरेपी दी गई थी।
Published on:
10 Jun 2021 09:21 am
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