
Aruna Shanbaug
मुंबई।
मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल (केईएम) अस्पताल की नर्सो ने इच्छा जताई है कि पिछले
चार दशकों तक जो कमरा नं-4 अरूण का "घर" रहा उसे एक तरह का स्मारक बना दिया जाए।
अरूणा केईएम अस्पताल की पूर्व नर्स थीं, 1973 में उनपर यौन हमला हुआ था, जिसके बाद
वह इतने बरसों तक कोमा में रहीं। बहरहाल, अस्पताल प्रशासन के लिए यह एक मुश्किल
फैसला है क्योंकि ऎसा करने का मतलब यह होगा कि अन्य जरूरतमंद मरीज के इलाज के लिए
एक कमरा कम होना। 42 सालों में ऎसा पहली बार हुआ है जब मुंबई के किंग एडवर्ड
मेमोरियल (केईएम) अस्पताल के कमरा नंबर 4 में कोई चहल पहल न हो, क्योंकि इसमें चार
दशक तक रहने वाली मरीज अरूणा का सोमवार को निधन हो गया है।
जिन नसोंü ने
अरूणा शानबाग का परिवार के एक सदस्य के तौर पर इलाज किया और उनका ध्यान रखा, उनके
लिए उनका चले जाना बहुत दुखद है। केईएम के डीन डॉ अविनाश सुपे ने मंगलवार के बताया,
"जी हां, यह सच है कि कुछ नसोंü ने अरूणा के लिए उसे स्मारक बनाने की इच्छा जताई
है। फिलहाल हमने कमरे में उनकी फोटो लगाई है। बहरहाल, "स्मारक" बनाने के विचार पर
अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है।"
सुपे ने कहा, " एक विकल्प यह हो सकता
है कि कमरे को अरूणा का नाम दिया जाए और कमरे में मरीजों का उपचार जारी रखा जाए। इस
तरह से, हम एक कमरे को बर्बाद नहीं करेंगे, जहां पर मरीजों का इलाज किया जा सकता
है।" अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि नसेंü अरूणा को उनके जन्म पर बधाई नहीं दे
पाएंगी जो एक जून को आने वाला है।
Published on:
19 May 2015 05:38 pm
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