किसान और केंद्र सरकार के बीच पहले ही दो दौर की बातचीत हो चुकी है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि जब कृषि कानून बने थे तब कुछ लोगों ने किसानों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा कर दी। यही वजह रही कि सरकार ने 14 अक्टूबर और 13 नवंबर को किसानों से दो बार बातचीत की थी। इस बातचीत के दौरान भी सरकार ने किसानों से आग्रह किया था कि वे किसी भी तरह के प्रदर्शन का रास्ता ना अपनाएं।
किसानों की तीन मांग हैं। पहली ये कि उनकी बात सुनी जाए और उन्हें दिल्ली के जंतर-मंतर तक जाने दिया जाए। दूसरी न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था समाप्त होने को लेकर चिंता जता रहे हैं। उन्हें यह आशंका भी है कि इन कानूनों से वे निजी कंपनियों के चंगुल में फंस जाएंगे। तीसरी मांग यह है कि किसान बातचीत को तो तैयार हैं, लेकिन बिना किसी शर्त के।
केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली बॉर्डर पर सोमवार को लगातार पांचवें दिन भी जमे रहे। राजधानी में एंट्री के तीन रास्तों पर सैकड़ों किसान डेरा डालकर बैठे और दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देने पर अड़े रहे।
बुराड़ी से लौटने लगे किसान
किसानों ने चेतावनी दी है कि उनकी बात नहीं सुनी गई तो दिल्ली को पड़ोसी राज्यों से जोड़ने वाली सभी सड़कों को बंद कर दिया जाएगा। दिल्ली पुलिस ने दर्ज की एफआईआर
किसान आंदोलन के दौरान सिंधु बॉर्डर पर हुए बवाल को लेकर दिल्ली पुलिस ने दंगा करने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। ये एफआईआर अज्ञात लोगों के खिलाफ अलीपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई हैं।