ममता ने कम उम्र में ही बड़े-बड़े कारनामे कर दिखाए। महज 13 साल की उम्र में अंडर-13 तीरंदाजी में गोल्ड मेडल जीतकर नेशनल चैंपियन का खिताब हासिल कर लिया।
गोल्ड मेडल मिलने के बाद गांव के लोग उन्हें ‘गोल्डन गर्ल’ के नाम से बुलाने लगे। अब यहीं गोल्डन गर्ल अपनी और अपने अपने परिवार का पेट भरने के लिए झालमुड़ी बेचने को मजबूर है।
जानकारी के मुताबिक ममता धनबाद के तेलीपाड़ा इलाके की रहने वाली हैं। ममता पिछले साल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर आर्चरी में ट्रेनिंग ले रही थी। इसके बाद कोरोना औ गया और देश भर में लॉकडाउन लग गया। लॉकडाउन की वजह से वह घर आ गई लेकिन और फिर दोबारा ट्रेनिंग सेन्टर वापस नहीं जा सकीं।
मीडिया से बात करते हुए ममता ने बताया कि पर इन दिनों उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसलिए वह घर वालों को सपोर्ट करने के लिए झालमुड़ी और पकौड़ा बेच रही है।
ममता बताता हैं, वह अंडर-13 में गोल्ड जीत चुकी हैं।नेशनल चैंपियनशिप में भी फर्स्ट आई। इसके साथ ही अन्य दूसरे खेलों में हिस्सा ले चुकी हूं। लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से सब थम गया।
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उन्होंने कहा, परिवार वालों की मदद करने के लिए वो दुकान पर झालमुड़ी बेचने लगीं। एक दिन में वह 100-200 रुपये की कमाई ही कर पाती हैं। इससे ही उनका घर चलता है। बता दें ममता की हालत जानने के बाद धनबाद आर्चरी एसोसिएशन ने उनकी मदद करने का वादा किया है।लेकिन ये मदद कब तक मिलेगी इसके बारे में कोई बात नहीं कही गई है।