जिस तरह से दोषियों ने अपने आपको बचाने के हथकंडे अपनाए हैं उसे देखने से लगता है कि 1 फरवरी को मिलने वाली फांसी को एक बार फिर आगे बढ़ाया जा सकता है। इसकी वजह ये है कि मुकेश को छोड़कर तीन अन्य दोषी के पास अभी राष्ट्रपति ( Presidnet ) के पास दया याचिका ( Mercy Petition ) भेजने का विकल्प मौजूद है।
तेजी से बढ़ रही है सर्दी, मौसम विभाग ने जारी की कई राज्यों को लेकर चेतावनी विनय भेज चुका दया याचिका
दरअसल फांसी से 60 घंटे पहले राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने पर फांसी टाल दी जाती है। ऐसे में विनय ने ये काम कर लिया है। उसने बचाव के लिए राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेज दी थी। इस पर अभी फैसला आना बाकी है, लेकिन फैसले पहले फांसी की तारीख टल सकती है।
दया याचिका को चुनौती
दरअसल फांसी से 60 घंटे पहले राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने पर फांसी टाल दी जाती है। ऐसे में विनय ने ये काम कर लिया है। उसने बचाव के लिए राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेज दी थी। इस पर अभी फैसला आना बाकी है, लेकिन फैसले पहले फांसी की तारीख टल सकती है।
दया याचिका को चुनौती
क्यूरेटिव पिटिशन के बाद दया याचिका और इसके बाद इस याचिका के खारिज होने पर सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी जा सकती है। यानी अभी दोषियों को विकल्प बाकी है जिससे जरिये वो फांसी की तारीख को आगे बढ़ा सकते हैं।
निर्भया केस में वकील ने दी ऐसी दलील, जानकर आप भी रह जाएंगे दंग आपको बता दें कि निर्भया के गुनहगारों के वकील एपी सिंह की ओर से पटियाला हाउस कोर्ट में अर्जी दाखिल कर फांसी की तिथि एक बार फिर से बढ़ाने की मांग की गई है।
दिल्ली प्रिजन रूल्स का हवाला
दोषियों की ओर से इस बार दिल्ली प्रिजन रूल्स का हवाला दिया गया है. निर्भया के सभी चारों दोषियों के वकील एपी सिंह की ओर से यह याचिका दायर की गई है। इसमें दिल्ली कारागार से जुड़े नियमों का हवाला दिया गया है।
एपी सिंह ने याचिका में दिल्ली प्रिजन रूल्स के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा है कि इसके तहत चार में से किसी भी दोषी को तब तक फांसी नहीं दी जा सकती है, जब तक कि आखिरी दोषी दया याचिका समेत सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल नहीं कर लेता है।
दिल्ली प्रिजन रूल्स का हवाला
दोषियों की ओर से इस बार दिल्ली प्रिजन रूल्स का हवाला दिया गया है. निर्भया के सभी चारों दोषियों के वकील एपी सिंह की ओर से यह याचिका दायर की गई है। इसमें दिल्ली कारागार से जुड़े नियमों का हवाला दिया गया है।
एपी सिंह ने याचिका में दिल्ली प्रिजन रूल्स के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा है कि इसके तहत चार में से किसी भी दोषी को तब तक फांसी नहीं दी जा सकती है, जब तक कि आखिरी दोषी दया याचिका समेत सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल नहीं कर लेता है।