युद्धक विमानों के संग भरेंगे उड़ान-
सबसे पहले कैट्स ड्रोन वॉरियर तेजस, सुखोई या फिर रफाल के साथ उड़ान भरेंगे। ये दुश्मन के इलाके में घुसकर मार गिराने का काम करेंगे, क्योंकि युद्धक विमानों के उड़ान की एक सीमा होती है। यही नहीं, अपने निर्धारित अंतिम ठिकाने पर पहुंचकर बम भी दागेगा और फिर वापस आ जाएगा। डेढ़ टन का यह ड्रोन हवा से हवा में 100 किलोमीटर तक मार करेगा। इसे एचएएल ने ऐसा तैयार किया है कि दुश्मन के राडार भी पकड़ नहीं सकेंगे।
दुश्मनों को मात देने के लिए जरूरी- इस सिस्टम के इंचार्ज ग्रुप कैप्टन रिटायर्ड एचवी ठाकुर बताते हैं, जब कोई देश किसी पर हवाई हमला करता है तो युद्धक विमान समूह में आते हैं। ऐसे में दुश्मन को मात देने के लिए युद्धक विमानों के साथ ड्रोन का समूह काफी घातक होगा।
दूसरा ड्रोन लड़ाई को बढ़ाएगा आगे-
इसी सिस्टम का दूसरा ड्रोन लड़ाई को आगे बढ़ाएगा। इसे कैट्स हंटर नाम दिया है। यह तेजस के विंग के ठीक नीचे लगाया जाएगा। 650 किलो का ड्रोन साइज में छोटा है, पर मारक क्षमता ज्यादा है। तेजस जब निर्धारित गंतव्य तक पहुंचेगा तो तुरंत हंटर को लॉन्च कर दिया जाएगा। यह दुश्मन की सेना में घुस कर हमला कर देगा। इसमें पैराशूट लगे हैं। मिशन पूरा करके बेस पर लैंड कर सकता है।
तीसरा सिस्टम अटैक ड्रोन-
तीसरा सिस्टम कैट्स अल्फा है। यह झुंड में हमला करने वाला स्वार्मिंग अटैक ड्रोन है। यानी एक ड्रोन के अंदर कई ड्रोन। इसमें एक कैरियर ड्रोन में 4 ड्रोन होंगे। लॉन्च होने के बाद नीचे आएगा और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए दुश्मन के ठिकानों पर पहुंच तबाह करेगा। इसमें बीच में जो ड्रोन रहेगा, वह समन्वय करके अलग-अलग ठिकानों पर हमला करवाने का काम करेगा। तेजस ऐसे 20 ड्रोन और सुखोई 40 ड्रोन एक बार में ले जा सकता है।