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इंजीनियरिंग डिग्री में दो अलग-अलग विषय पढ़ाने जाने पर रोक 

एआईसीटीई ने 232 कोर्स वाले की सूची जारी की। इन्हीं कोर्स को पढ़ाया जा सकता है, अलग से कोई और कोर्स नहीं पढ़ाया जा सकेगा।

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rohit panwar

Jan 10, 2017

Aicte, Engineering colleges

Aicte, Engineering colleges

नई दिल्ली. जो विश्वविद्यालय या कॉलेज इंजीनियरिंग के दो अलग-अलग विषयों को एक कोर्स के रूप में पढ़ा रहे हैं, वो अब ऐसे कोर्स नहीं पढ़ा सकेंगे। भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने इन कोर्स पर रोक लगा दी है। एआईसीटीई ने इंजीनियरिंग के 232 कोर्स की सूची जारी की है। केवल ये कोर्स ही पढ़ाए जा सकेंगे।

कॉलेज मनमाने तरीके से खुद से कोर्स डिजाइन नहीं कर पाएंगे

एआईसीटीई के चेयरमैन अनिल डी. सहस्रबुद्धे ने बताया कि इस बाबत दिशानिर्देश शुक्रवार को जारी कर दिए गए हैं। दरअसल, अधिकतर निजी कॉलेज मनमाने तरीके से खुद से कोर्स को डिजाइन कर इन्हें पढ़ा रहे हैं। ये इंजीनियरिंग की दो ऐसी शाखाओं को मिलाकर एक डिग्री कोर्स शुरू कर देते हैं जिनका आपस में संबंध नहीं होता। जैसे मैकेनिकल इंजीनियरिंग के साथ कंप्यूटर साइंस जोड़ा देना या फिर इलेक्ट्रिकल साइंस के साथ एनवायरमेंट इंजीनियरिंग जोड़ देना। ऐसे कोर्स सुनने में प्रभावशाली महसूस होते हैं। लेकिन रोजगार की दृष्टि से कारगर साबित नहीं हो रहे हैं। इसे देखते हुए एआईसीटीई ने कहा कि इस तरह कोर्स डिजाइन करना नियम के खिलाफ है। इससे छात्रों को रोजगार मिलने में भी दिक्कतें होती हैं।

एक जैसे नेचर वाले कोर्स ही मंजूर

जिन कोर्स के दो विषयों में तालमेल होगा, उन्हें पढ़ाया जा सकेगा। मसलन, बीटेक इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड कम्यूनिकेशन आदि। इन पर किसी तरह की रोक नहीं होगी। आईआईटी संस्थान भी ऐसे एक जैसे नेचर वाले कोर्स का संचालन करते हैं। उधर, छात्र नए नियम से परेशान हैं। उन्हें अपना भविष्य अधर में लटका नजर आ रहा है। बता दें कि एआईसीटीई ने साफ नहीं किया कि जो छात्र अब तक इन कोर्स को पढ़ रहे हैं उन्हें डिग्री दी जाएगी या नहीं।

एआईसीटीई का तर्क

तकनीकी शिक्षा की व्यवस्था का संचालन करने वाली संस्था एआईसीटीई ने फैसले को लेकर अपना तर्क दिया। उसने कहा कि भले ही ये कोर्स इंजीनियरिंग के हों मगर इनकी शाखा या विषयों में में तालमेल नहीं होता। एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि 60 फीसदी से अधिक संस्थानों में बीटेक मैकेनिकल इंजीनियरिंग एंड एनवायरमेंट इंजीनियरिंग कोर्स पढ़ाया जाता है। अधिकारी कहते हैं कि यह एक कोर्स है मगर इसके दोनों विषय एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। इससे 78 फीसदी छात्रों को भी रोजगार नहीं मिल पाता।

एडऑन कोर्स की स्वीकृति

यदि कोई कॉलेज इंजीनियरिंग के मुख्य विषय से इतर अन्य विषय भी पढ़ाना चाहता है तो वो अन्य विषय को सर्टिफिकेट या एडऑन कोर्स के तौर पर पढ़ा सकता है। यह मुख्य कोर्स से जुड़ा नहीं होगा। ऐसी स्थिति में छात्रों को कोर्स पूरा होने पर अलग से सर्टिफिकेट देना होगा। उधर, निजी कॉलेजों की एसोसिएशन ने सरकार के इस निर्णय पर नाराजगी जाहिर की। उसने कहा कि हम केवल इस मकसद से इन कोर्स का संचालन कर रहे थे ताकि छात्र मूल विषय के साथ-साथ दूसरे विषयों की जानकारी ले सकें। बहरहाल, अब 232 इंजीनियरिंग डिग्रियों की सूची के आधार पर पढ़ाई होगी।

क्या नियम बदले

- विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग के कोर्स डिजाइन कर सकते हैं, लेकिन उसकी मंजूरी लेनी होगी
- भविष्य में एआईसीटीई डिग्रियों की संख्या को और सीमित करेगा
- इंजीनियरिंग की जिन विधाओं में मांग बढ़ रही है, वहां नई डिग्रियों को भी मंजूरी दी जाएगी
- हर कोर्स की सीटें तय होनी चाहिए। सीटें बिना मंजूरी नहीं बढ़ाई जा सकतीं।


आंकड़े

- 20 लाख छात्र हर साल इंजीनियरिंग कोर्स की पढ़ाई पूरी करते हैं
- 4800 के करीब सरकारी व निजी कॉलेज हैं इंजीनियरिंग के देशभर में
- 80 फीसदी छात्र बीटेक करने के बाद भी स्किल्ड नहीं हो पाते
- 40 फीसदी बीटेक के बाद पेशा बदलकर एमबीए कोर्स करने लगते हैं


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