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नोटबंदी के बाद देश से 12 लाख करोड़ रुपए भारत से वापस ले गए NRI

 नोटबंदी में विदेशों से कितना कालाधन वापस आया या नहीं मगर देश की बड़ी रकम वापस विदेशों में पहुंच गई। 

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Sweta Pachori

Jan 12, 2017

notebandi

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नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद देशवासियों के साथ ही प्रवासी भारतीय लोग भी डरे हुए हैं। एनआरआई लोगों में भारत में जमा अपने पैसे को लेकर डर बढ़ गया। नोटबंदी में विदेशों से कितना कालाधन वापस आया या नहीं मगर देश की बड़ी रकम वापस विदेशों में पहुंच गई। सरकार के इस कदम के बाद एनआरआई लोग भारत से अपना पैसा निकालकर विदेश ले गए हैं। हाल ही में विदेशी बैंकर्स ने इससे जुड़े कुछ चौंकाने वाले आंकड़े जार किए। नोटबंदी की वजह से एनआरआई करीब 12 लाख करोड़ रुपए निकालकर वापस ले गए।

भारत से बड़ी रकम विदेश जाने की वजह से कमजोर हुआ रुपया
एक अग्रेंजी बिजनेस अखबार के अनुसार बैंकरों की ओर से जारी किए गए आकंडे बताते हैं कि पिछले साल अक्टूबर और नवंबर दो महीनों में 17 अरब डॉलर यानि 12 लाख करोड़ रुपए भारत से बाहर चले गए हैं। बिजनेस एक्सपट्र्स का मानना है कि इसी वजह से रुपए पर दबाव बढ़ता जा रहा है। इस समय भारतीय रुपया सितंबर 2013 के स्तर पर पहुंच गया है। बैंकरों की इस रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर-नवंबर में एनआरआई ने फॉरेन करेंसी नॉन-रेजिडेंट बैंक को भुनाया है जो कि एक बड़ी रकम है। भारत सरकार की ओर से नोटबंदी की घोषणा के बाद एनआरआई लोगों का भारत की इकोनोमी से भरोसा कम हो गया है।

नवंबर में एनआरआई लोगों ने निकाला 11.43 अरब डॉलर
इस वजह से नवंबर 2016 में एनआरआई लोगों ने करीब 11.43 अरब डॉलर का कुल डिपॉजिट भुना लिया। ऐसा माना जा रहा है कि एक महीने में ये एनआरआई लोगों की ओर से निकाली गई सबसे बड़ी रकम हैं। अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने बताया- एफसीएनआर-बी डिपॉजिट वाला पैसा तो बाहर जाना ही था। इसे दो-तीन महीनों के दौरान भुनाया गया। अमरीका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी के चलते भी काफी पैसा भारत से बाहर गया है। एक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सौगत भट्टाचार्य ने बताया कि पिछले साल सितंबर से नवंबर के बीच एफसीएनआर डिपॉजिट का 19 अरब डॉलर देश से बाहर गया। इसकी उम्मीद पहले से थी।

रिजर्व बैंक को अनुमान था 20 अरब डॉलर जाएगा बाहर
रिजर्व बैंक ने इस मद में 20 अरब डॉलर के देश से बाहर जाने का अनुमान लगाया था। इतनी बड़ी रकम निकाले जाने के बावजूद रुपए में स्थिरता देखी गई। इसके लिए आरबीआई की तारीफ की जानी चाहिए। अर्थशास्त्रियों को लग रहा है कि अभी डॉलर और भी ज्यादा मजबूत होगा। रुपये की कीमत में धीरे-धीरे कमी आ सकती है। इस रिपोर्ट के अनुसार 2008 में अमरीकी इनवेस्टमेंट बैंक लीमैन ब्रदर्स के दिवालिया होने के बाद वैश्विक आर्थिक संकट शुरू हुआ था, तब भी एनआरआई ने इतनी रकम नहीं निकाली थी।

भारत की नोटबंदी से विदेशी बैंकों को मिला फायदा
उनके अलावा, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने नवंबर में शेयर बाजार से 515 अरब डॉलर की रकम निकाली। 24 नवंबर को रुपया सबसे निचले स्तर 68.85 पर पहुंच गया था। 28 अगस्त 2013 को भी यह 68.85 के स्तर पर गया था, जिसके बाद तत्कालीन आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन को एनआरआई डिपॉजिट के जरिये देश में डॉलर लाने के लिए स्पेशल स्कीम शुरू करनी पड़ी थी। बता दें कि डॉलर की तुलना में रुपया अभी 68.30-35 के स्तर पर है। दरअसल, अमरीका में दिसंबर महीने में ब्याज दरों में बढ़ोतरी डॉलर और मजबूत हुआ है। नए साल में फेडरल रिजर्व बैंक ब्याज दरों में और बढ़ोतरी कर सकता है।

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