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नीति आयोग का खुलासा: ग्रामीण भारत में लगातार घट रही महिला श्रमिकों की संख्या

महिला श्रमिकों की संख्या कम होने से खेती पर भी इसका असर देखा जा रहा है।

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नई दिल्ली। एक तरफ महिला सशक्तिकरण की बात हो रही है तो दूसरी ओर ग्रामीण भारत में महिला श्रमिकों की संख्या में लगातार कमी देखी जा रही है। महिला श्रमिकों की संख्या कम होने से खेती पर भी इसका असर देखा जा रहा है। नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि ग्रामीण भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं तेजी से श्रम से दूर होती जा रही हैं। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद्र, कृषि अर्थशास्त्री एसके श्रीवास्तव, थिंक टैक जसपाल सिंह ने यह रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रामीण भारत में शिक्षा, शादी के बाद शहर की ओर पलायन जैसे प्रमुख कारण है जिसकी वजह से महिला श्रमिकों की संख्या में कमी आ रही है।

33 लाख श्रमिकों में से 81 फीसदी महिलाएं

रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2004—05 से लेकर 2012—13 के बीच 3 करोड़ 33 लाख श्रमिकों में से 2 करोड़ 70 लाख (81 प्रतिशत) महिलाओं ने काम छोड़ा। जबकि इस दौरान केवल छह लाख (19 प्रतिशत) पुरुष श्रमिक थे। काम छोड़ने वाली 2 करोड़ 70 लाख महिलाओं में से पांच लाख महिलाएं गैर कृषि क्षेत्र में शामिल हो गई। बाकी महिलाओं ने पूरी तरह से कार्य छोड़ दिया। दूसरी ओर जिन पुरुषों ने खेती से नाता तोड़ा वो किसी और श्रेत्र में शामिल हो गए।

जागरूकता और शिक्षा भी है प्रमुख कारण

रिपोर्ट में पाया गया है कि महिलाएं अब जागरूक होने के साथ—साथ शिक्षित हो रही है। इसलिए वे कृषि कार्य से दूर अन्य क्षेत्रों में अपनी जगह बना रही हैं। लेकिन ग्रामीण भारत में लगातार श्रमिकों की हो रही कमी की चिंता भी रिपोर्ट में व्यक्त की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक शैक्षिक योजना सहित सशक्तिकरण के सफल क्रियान्वयन के कारण महिलाएं अब अन्य क्षेत्रों में अपनी भूमिका तलाश रही हैं। इस हफ्ते नीति आयोग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार साल 2004—05 से लेकर 2012—13 के बीच 3 करोड़ 33 लाख श्रमिकों में से 2 करोड़ 70 लाख (81 प्रतिशत) महिलाओं ने काम छोड़ा।


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