दरअसल, आजाद पहली बार 1990 में राज्यसभा सदस्य बने। तब वे महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते थे। इसके बाद वर्ष 2009 में वह जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने और फिर वह आगे हमेशा कश्मीर से ही राज्यसभा का प्रतिनिधित्व करते रहे।
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने अंदरूनी तौर पर गुलाम नबी आजाद के बाद नेता प्रतिपक्ष पद के लिए तैयारी शुरू कर दी है। कुछ नाम मंगाए गए हैं और उन पर विचार हो रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी बिना देर किए आजाद के रिटायर होते ही 15 फरवरी को नेता प्रतिपक्ष के नाम का ऐलान कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक, जिन नामों पर विचार हो रहा है, उनमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खडगे का नाम पहले नंबर पर है। हालांकि, पी. चिदंबरम का नाम भी सामने आ रहा है, लेकिन हिन्दी भाषा बोलने में होने वाली उनकी दिक्कत को लेकर उन्हें यह पद नहीं भी दिया जा सकता है।
वैसे, तीसरे नंबर पर जो नाम सामने आ रहा है, वह सबसे ज्यादा चौंकाने वाला है। यह नाम है दिग्विजय सिंह का। सूत्रों के मुताबिक, दिग्विजय सिंह की संभावना भी मजबूत दिख रही है। इन नेताओं के अलावा, आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल का नाम भी लिस्ट में बताया जा रहा है।
देखना यह है कि आजाद के बाद राज्यसभा का नेता प्रतिपक्ष कौन होता है, मगर एक बात जरूर गौर करने वाली होगी, वह यह कि प्रधानमंत्री मोदी ने बतौर नेता प्रतिपक्ष आजाद के काम की तारीफ करते हुए कहा था कि भविष्य में जो भी उनकी जगह लेगा, उसके लिए आजाद के काम को मिलाकर चल पाना काफी मुश्किलभरा होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि आजाद न सिर्फ अपनी पार्टी की बल्कि, देश और सदन की भी बराबर चिंता करते थे।