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‘इंडिया जस्टिस रिपोर्ट’ के पैमानों पर आकलन: न्याय देने में बेहतर हुआ राजस्थान, मध्यप्रदेश पिछड़ा

Highlights. - राष्ट्रीय स्तर पर महाराष्ट्र पहले और तमिलनाडु दूसरे पायदान पर - छत्तीसगढ़ अदालती व्यवस्था में शानदार काम कर इस लिहाज से राज्यों की रैंकिंग में एक साल में आठ अंक ऊपर पहुंच गया - लगातार कोशिशों के बावजूद सिर्फ निचली अदालतों में ही लगभग तीन करोड़ मुकदमे आज भी लटके हुए हैं  

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Ashutosh Pathak

Jan 29, 2021

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मुकेश केजरीवाल/नई दिल्ली

जेल व्यवस्था में बेहतर काम कर राजस्थान ने ना सिर्फ इस पैमाने पर देशभर में पहला स्थान हासिल कर लिया है बल्कि हर व्यक्ति को पूरा न्याय दिलवाने के पैमाने पर होने वाली राज्यों की ‘इंडिया जस्टिस रैंकिंग’ में भी एक साल में ही चार अंकों की शानदार बढ़त हासिल की है। इसी तरह छत्तीसगढ़ अदालती व्यवस्था में शानदार काम कर इस लिहाज से राज्यों की रैंकिंग में एक साल में आठ अंक ऊपर पहुंच गया है।

हर व्यक्ति को न्याय दिलाने के राज्यों के प्रयास की राष्ट्रीय रैंकिंग के साथ आई दूसरी ‘इंडिया जस्टिस रिपोर्ट’ में इस लिहाज से कई चौंकाने वाले तथ्य भी सामने आए हैं। लगातार कोशिशों के बावजूद सिर्फ निचली अदालतों में ही लगभग तीन करोड़ मुकदमे आज भी लटके हुए हैं।

इसी तरह जेल में बंद दो तिहाई कैदी ऐसे हैं, जिनका अब तक दोष साबित नहीं हुआ है। देश भर में सिर्फ 29 फीसदी जज ही महिलाएं हैं। लोगों को पर्याप्त मुफ्त कानूनी सहायता भी नहीं मिल रही। देश की 80 फीसदी आबादी इस सहायता की पात्र है, लेकिन 1995 से अब तक सिर्फ 1.5 करोड़ लोगों को ही यह मदद मिली है।
इस रिपोर्ट में न्यायपालिका, पुलिस, जेल व्यवस्था और कानूनी सहायता के चार पैमाने पर आकलन किया गया है। इनके आधार पर व्यापक रैंकिंग में महाराष्ट्र पहले पायदान पर रहा है जबकि तमिलनाडु दूसरे पर। राजस्थान पिछली रिपोर्ट में 14वें स्थान पर था, वहीं इस बार यह 10वें स्थान पर पहुंच गया है।

न्यायपालिका सुधार में छत्तीसगढ़ की छलांग
छत्तीसगढ़ ने पिछले कुछ महीनों के दौरान जहां हाई कोर्ट में अधिक जजों की नियुक्ति की है और बड़ी संख्या में कोर्ट रूम तैयार किए हैं, वहीं निचली अदालतों में पांच साल से ज्यादा समय से लटके मुकदमों की संख्या को भी तेजी से कम किया है। इस तरह यह पिछली बार जहां 12वें स्थान पर था, वहीं अब आगे बढ़ कर चौथे स्थान पर पहुंच गया है। तमिलनाडु बड़े राज्यों में सबसे ऊपर रहा।

39% भारत में रिश्वत का स्तर (एशिया में सबसे अधिक)

42% पुलिस से संपर्क करने वालों ने रिश्वत दी (पिछले एक साल में)

80% लोग मुफ्त कानूनी सहायता के पात्र

24% केस निचली अदालतों में पांच साल से ज्यादा समय से लंबित

2.97 करोड़ केस हैं निचली अदालतों में लंबित

5 राज्यों के हाई कोर्ट में एक भी महिला जज नहीं

2/3 (दो तिहाई) लोग जेल में बिना सजा मिले कैद हैं

1 नंबर पर है राजस्थान जेल संबंधी रैंकिंग में

8 अंकों की जोरदार छलांग लगाई है छत्तीसगढ़ ने


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