72वें गणतंत्र दिवस पर मनकामेश्वर से निकली मिशन शक्ति तिरंगा यात्रा
नेहरू ने की थी पूर्ण स्वराज की मांग
दरअसल, दिसंबर 1928 में इंडियन नेशनल कांग्रेस ने डोमिनन स्टेटस के लिए ब्रिटिश सरकार के सामने एक प्रस्ताव रखा था। लेकिन अंग्रेजी हुक़ूमत ने इसे ये कहते हुए खारिज कर दिया दिया था कि अभी भारत इसके लिए तैयार नहीं है।इस प्रस्ताव के रद्द होने की वजह से कांग्रेस बौखला गई। इसके ठीक एक साल बाद यानी 1929 में लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस ने पं. जवाहर लाल नेहरु को अपना अध्यक्ष दिया। नेहरू के अध्यक्ष बनने के कुछ दिन बाद कांग्रेस ने डोमिनन स्टेटश की जगह पूर्ण स्वराज की मांग कर दी।
26 जनवरी 1930 को मनाया जाता है स्वाधीनता दिवस
इसके 26 जनवरी 1930 को लाहौर में रावी नदी के किनारे तिरंगा झंडा शान से फहराया गया। और इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रुप मनाया जाना तय हो गया। लेकिन उस वक्त अंग्रेज भारत में ही थे, इसलिए ऐसा हो नहीं पाया। ऐसे में कांर्गस इस दिन को स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाने लगी।
फिर देश आजाद हुआ और 26 जनवरी 1949 को भारत को फिर से पूर्ण गणराज्य बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया और इसके एक साल बाद यानी 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हो गया। हालांकि संविधान 26 नवम्बर को 1949 को पूरा बनकर तैयार हो गया था, लेकिन संविधान को पूर्ण रूप से लागू 26 जनवरी 1950 को किया गया।
Republic Day 2021: तिरंगे को लेकर केंद्र का सख्त निर्देश, प्लास्टिक के झंडे का ना करें इस्तेमाल
26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था संविधान
क्योंकि 26 जनवरी 1930 को कांग्रेस ने पहला स्वाधीनता दिवस मनाया था, जिसके चलते उस दिन को याद रखते हुए संविधान को 26 नवम्बर 1949 के बजाय 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। और इस खास दिन की याद में हम हर साल 26 जनवरी के दिन गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।